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इसलिए रूस ने यूक्रेन को किया तबाह

 इसलिए रूस ने यूक्रेन को किया तबाह

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लगातार बढ़ता जा रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निर्देश के बाद रूसी सेना ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी थी। रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव तक अपनी पकड़ को मजबूत कर लिया है। हालांकि सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर रूस ने यूक्रेन के खिलाफ इतने बड़े सैन्य कार्रवाई को अंजाम क्यों देना शुरू किया? पुतिन भी यह कह चुके हैं कि हमने जो सैन्य कार्रवाई यूक्रेन के खिलाफ शुरू किया है, वह मजबूरी में है। लेकिन सवाल यही है कि आखिर पुतिन के सामने कौन सी मजबूरी है जिसकी वजह से रूस लगातार यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाईकर रहा है। रूस और यूक्रेन की स्थिति को समझने के लिए आपको भारत और पाकिस्तान की स्थिति भी समझनी होगी। तभी आपको व्लादिमीर पुतिन पुतिन की दिक्कत समझ में आने लगेगी।

दरअसल, आजादी के बाद जिस तरीके से अमेरिका ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ मजबूत करने की कोशिश की, ठीक वैसा ही कुछ यूक्रेन के साथ हो रहा था। दरअसल, यूक्रेन 1991 में रूस से अलग हुआ। हालांकि यूक्रेन में लगातार रूस की समर्थन वाली ही सरकार रही। लेकिन पिछले कुछ सालों में यूक्रेन में अमेरिका और यूरोपीय देशों की दखलअंदाजी बढ़ने लगी जो कि रूस के लिए परेशानी का कारण बना। माना जा रहा कि जिस तरीके से अमेरिका ने शीत युद्ध के दौरान भारत को घेरने के लिए पाकिस्तान के परमाणु महत्वाकांक्षाओं को मंजिल तक पहुंचाने में मदद की। कुछ उसी तरह का खेल वह रूस पर भी शिकंजा कसने के लिए यूक्रेन का उपयोग कर खेल रहा है। पुतिन ने दावा किया है कि यूक्रेन परमाणु हथियार बना रहा है और उसे रोकने के लिए वह कुछ भी करेंगे। अगर यूक्रेन परमाणु संपन्न हो जाता है तो वह रूस के लिए पड़ोस में बड़ा खतरा पैदा कर सकता है जैसा कि पाकिस्तान भारत के साथ करता है। पाकिस्तान भारत को धमकाने के लिए बार-बार न्यूक्लियर जंग की बात करता है और दावा करता है कि दोनों देश न्यूक्लियर संपन्न है और ऐसे में युद्ध का अंजाम बहुत बुरा हो सकता है। यूक्रेन जब रूस से अलग हुआ था तो वह परमाणु संपन्न राष्ट्र था। उस दौरान यूक्रेन के पास करीब तीन हजार से ज्यादा टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपंस थे जबकि 2000 स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर वेपन भी थे। हालांकि बाद में यूक्रेन ने अपने सभी न्यूक्लियर हथियारों को रूस को सुपुर्द कर दिया।

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