प्रदेश में उड़ने वाला हर एक ड्रोन अब रहेगा पुलिस की नजर में
उत्तराखंड: पुलिस अब अनमैंड ट्रैफिक मैनेजमेंट (यूटीएम) सॉफ्टवेयर तैयार करा रही है। प्रदेश में उड़ने वाला हर एक ड्रोन का पुलिस की नजर में रहेगा।पुलिस ही उसे अनुमति देगी कि टेक ऑफ करना है या लैंडिंग। इसके लिए दिल्ली की एक कंपनी से करार किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर पर प्रत्येक ड्रोन संचालकों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। पुलिस इस सॉफ्टवेयर का अगले सप्ताह ट्रायल करेगी।
अभी तक कौन, कहां और क्यों ड्रोन उड़ा रहा है इस पर नजर रखने के लिए पुलिस के पास कोई तंत्र नहीं है। जबकि, प्रदेश के कई हिस्सों में छोटे मालवाहक ड्रोन भी उड़ाए जा रहे हैं। इनसे दवाएं, ब्लड सैंपल और तमाम तरह की सामग्रियों को दूर दराज के इलाकों में पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में कुछ असामाजिक तत्व इसका गलत फायदा भी उठा सकते हैं। लिहाजा, पुलिस ने इस तंत्र को विकसित करने के लिए दिल्ली की एक कंपनी से हाथ मिलाया है। यह कंपनी पुलिस के लिए यूटीएम सॉफ्टवेयर विकसित कर रही है। इस पर हर ड्रोन को पंजीकृत किया जाएगा। इससे टेक ऑफ होने से लेकर रूट और लैंडिंग तक की लाइव लोकेशन पता चल जाएगी। यदि कोई ड्रोन बिना पंजीकरण उड़ाया जा रहा है तो उसे जैमर से जाम भी कर दिया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर पर मालवाहक ड्रोन से लेकर शौकिया उड़ाने वालों को भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
वर्तमान में डीजीसीए ने ड्रोन के लिए यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर (यूआईएन) जरूरी कर दिया है। अब जो भी ड्रोन लिया जाता है पहले उसका यूआईएन नंबर जारी होता है। पुलिस इन ड्रोन का यह नंबर अपने सॉफ्टवेयर में फीड करेगी। इसके माध्यम से पुलिस को उसकी लोकेशन का पता चल सकेगा। पुलिस का यह सॉफ्टवेयर नो परमिशन नो टेकऑफ के आधार पर काम करेगा। पिछले साल तक आने वाले ड्रोन में यूआईएन नहीं होता था। इसमें आरआईडी (रिमोट आईडेंटिफिकेशन) होता था। आरआईडी रजिस्टर्ड करने के साथ-साथ पुलिस इन ड्रोन में विशेष चिप लगाएगी। यह चिप लोकेशन बताने के लिए लगाई जाएगी। यूटीएम के लिए दिल्ली की एक कंपनी से बात हुई है। अगले सप्ताह इसका दून में ट्रायल किया जाएगा। इसके बाद इस सॉफ्टवेयर को खरीदकर ट्रैफिक मैनेजमेंट विकसित किया जाएगा। बिना अनुमति के उड़ने वाले ड्रोन पर कार्रवाई की जाएगी।