सहसपुर विधानसभा सीट में टिकट उसी का जो प्रबल दावेदार।
सहसपुर विधानसभा सीट में टिकट उसी का जो प्रबल दावेदार।
दून जिले की सहसपुर विधानसभा सीट भी कम निराली नहीं है। क्षेत्रफल के लिहाज से ये सीट शिमला बायपास के गांव से शुरू होकर पावटा नेशनल हाईवे को छूते हुए भी सुदूरवर्ती भाऊवाला, कोटड़ा व इसके आसपास के विशाल इलाके को टच करती है।
सीट पर वोटर की फिर विविधता नजर आती है। जहां शिमला बायपास पर हुई गढ़वाली मतदाता की नई बसाकत ज्यादा है तो सहसपुर, सेलाकुई व आसपास में मुस्लिम व कठमालि बाहुल्य वहीं सुधोवाला से लेकर भाऊवाला, कोटड़ा, होरावाला आदि में यहां पुरानी कठमालि आबादी का प्रभाव है।
सीट पर दावेदारों की बात करें तो लगातार 2 बार से इस सीट पर भाजपा का परचम लहराते आये सहदेव सिंह पुंडीर मजबूती से एक बार फिर अपना दावा जता रहे हैं।2 बार का विधायक होना ही उनकी दावेदारी को मजबूत और कमजोर दोनों बना रहा है। 2 बार की एन्टी इंकबंसी जहां उनकी राह को रोड़ा भी है तो यही टिकट की दावेदारी का सबसे बड़ा आधार भी। इसी सीट से नवीन ठाकुर भी इस बार जोरदार ढंग से टिकट की दावेदारी में है। वे निरंतर रूप से अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और युवा होने के चलते खासे लोकप्रिय भी हैं। उनकी पकड़ भाजपा संगठन व आरएसएस दोनों में मजबूत बताई जाती है। ओमबीर राघव समेत कुछ अन्य भी यहां से भाजपा टिकट मांग रहे हैं।
दूसरी ओर इस सीट पर हमेशा की तरह इस बार भी कांग्रेस में अंतर्कलह जबरदस्त है। यहां से एक बार फिर आर्येन्दर शर्मा टिकट की जोरदार दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि उनके खिलाफ कांग्रेस का एक स्थानीय खेमा लगातार दो दिनों से विरोध में जुटा है। दमदार दावेदार होने के बावजूद आर्येन्दर के सामने तमाम मुश्किलें मुँह बाए खड़ी हैं। पिछला चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़ा था और इसका सीधा लाभ कहीं न कहीं भाजपा को मिला।
लक्ष्मी अग्रवाल भी कांग्रेस से मजबूती से दावा ठोक रही हैं। बीते दो चुनाव में निर्दलीय मैदान में उतरकर पार्टी को अपनी ताकत का अहसास करा चुकी है। इस सीट पर राकेश नेगी छुपे रुस्तम हो सकते हैं। dav कॉलेज से अपनी राजनीति शुरू करने वाले राकेश युवा होने के चलते भी खासे लोकप्रिय हैं। आर्येन्दर और लक्ष्मी की लड़ाई में राकेश को लाभ मिले तो बड़ी बात नहीं होगी।