
भाजपा ने हरक सिंह रावत को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सख्ती और तेजी दिखाते हुए हरक की मंत्रिमंडल से छुटटी कर दी थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हरक सिंह रावत विधानसभा चुनाव में पार्टी से अपने परिवार के लिए तीन टिकट की मांग कर रहे थे। उन्हें केदारनाथ या कोटद्वार विधानसभा सीट से टिकट की पेशकश हो गई थी। लेकिन वह लगातार दबाव बना रहे थे। सूत्रों के मुताबिक, हरक ने कांग्रेस को पांच सीटें खाली रखने के लिए कहा है।
पार्टी ने हरक को केदारनाथ या कोटद्वार सीट पर चुनाव लड़ने का ऑफर दे दिया था। लेकिन लैंसडौन सीट पर उनकी पुत्रवधू की टिकट डिमांड को खारिज कर दिया। हरक एक और टिकट चाह रहे थे। पार्टी की मनाही के बाद वह दिल्ली पहुंच गए थे। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के साथ उनकी बहू अनुकृति भी कांग्रेस जॉइन करेंगी। आज दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में वह कांग्रेस का हाथ थामेंगे। पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और हरक सिंह को को भी प्रदेश सरकार मनाने में नाकाम रही। आर्य के पार्टी छोड़ने से पहले मुख्यमंत्री ने उनके साथ बाकायदा ब्रैक फास्ट किया था। आर्य ने सरकार से अपने काम कराए और बाद में विधायक बेटे के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद हरक सिंह रावत कोट्वार मेडिकल कॉलेज के लिए धनराशि मंजूर कराने को लेकर कोपभवन में चले गए थे। मुख्यमंत्री ने उन्हें डिनर की टेबल पर मनाया। उनकी मांग के अनुसार, 25 करोड़ की मंजूर किए। उसके बाद हरक सिंह के भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में जाने की खबरें आ गईं।