उत्तराखंड

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने टिहरी विस्थापितों को भूमिधर अधिकार दिलाए जाने की मांग की !!!

उन्होंने कहा कि जहां स्थापित बसे हैं, वहां उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने टिहरी विस्थापितों को  भूमिधर अधिकार दिलाए जाने हेतु प्रेस वार्ता की  । उन्होने कहा राष्ट्र की प्रगति और भारत रूस मैत्री का जीवांत स्तंभ टिहरी डैम उत्तराखंड का अभिमान है। आज एक विकसित उत्तराखंड की हमारी योजना का बड़ा आधार है और इस समय भी राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे रहा है।हरीश रावत ने कहा कि वहां के लोगों ने राष्ट्र के आह्वान पर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया. लेकिन आज भी टिहरी विस्थापितों की तीसरी पीढ़ी मारी-मारी फिर रही है. उन्होंने कहा कि जहां स्थापित बसे हैं, वहां उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इन विस्थापितों में सबसे चिंताजनक स्थिति हरिद्वार के पथरी क्षेत्र के भाग 1, 2, 3, 4 में बसे लोगों की है. उन्होंने पथरी क्षेत्र में बसे टिहरी विस्थापितों को भूमिधर अधिकार दिलाए जाने की मांग उठाई है.कहा कि वर्ष 2016 में तत्कालीन सरकार ने मालिकाना हक देने के निर्देश जारी किए और पत्रावली तैयार करवाई गई। सत्ता परिवर्तन के साथ यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में डाल दी गई। गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र में स्थानीय विधायक द्वारा इस मामले को विधानसभा संचालन नियमावली के नियम 58 के अंतर्गत उठाये जाने पर सरकार ने इस मामले में सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया। तद् पश्चात हरिद्वार जनपद के विधायकों की बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री ने इसके लिए आवश्यक पत्रावली तैयार करने के आदेश दिए। जिस पर आठ माह बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

इस दौरान वन विभाग द्वारा करवाए गए एक तथाकथित सर्वेक्षण में टिहरी विस्थापितों के पास आवंटित 912 एकड़ भूमि के बजाए 968 एकड़ भूमि पर कब्जेदार बताए जाने के बाद सारे मामले को उलझाया जा रहा है। 23 हैक्टेयर भूमि को लेकर सारी भूमि धरी प्रक्रिया को उलझाने के प्रयास किये जा रहा हैं जो निंदनीय है, पूर्णतः अस्वीकार्य है। इस सारी भूमि पर वर्ष 2015-16 में घेरवाड़, दीवाल बंदी हो चुकी है।हरीश रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री पथरी के विस्थापितों को भूमि धरी अधिकार देने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर इस प्रकरण का सकारात्मक निस्तारण करें।

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