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आरजेडी ने की नए संसद भवन की तुलना ताबूत से, ओवैसी ने की आरजेडी की आलोचना

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नई दिल्ली 28 मई 2023 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों की नाराज़गी के बीच रविवार सुबह दिल्‍ली में नए संसद भवन का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम के साथ लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला भी मौजूद रहे.इस बीच, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक तस्वीर ट्वीट की गई, जिसमें नए संसद भवन की तुलना ताबूत से की गई है. गौरतलब है कि कांग्रेस समेत करीब 20 विपक्षी दलों ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया. उनका कहना है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री को नहीं, बल्कि राष्ट्रपति को करना चाहिए था. कांग्रेस ने भी पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ऐसे ”आत्ममुग्ध तानाशाह प्रधानमंत्री” ने यह उद्घाटन किया है, जिन्हें संसदीय परंपराओं से नफरत है. एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी संसद भवन की तुलना ताबूत से करने पर आरजेडी की आलोचना की. आरजेडी के ट्वीट पर ओवैसी ने कहा, ”राजद का कोई स्टैंड नहीं, पुराने संसद भवन को दिल्ली फायर सर्विस से क्लीयरेंस तक नहीं था. वे (राजद) संसद को ताबूत क्यों कह रहे हैं? वे कुछ और भी कह सकते थे, उन्हें यह एंगल लाने की क्या ज़रूरत है?”

वहीं, भारतीय जनता पार्टी के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, ”संसद की फोटो के साथ ताबूत जिसमें मुर्दों को रखा जाता है कि तस्वीर लगाने से ज्यादा शर्मनाक हरकत और कोई नहीं हो सकती.” ‘संसद भवन का चित्र भारत के भविष्य का चित्र है और वो ताबूत आरजेडी के भविष्य को दर्शाता है.”

सुशील मोदी ने कहा, ”क्या राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य हमेशा के लिए संसद का बहिष्कार करेंगे. क्या वे लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे. राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे. फिर ताबूत का चित्र दिखाना क्या साबित करता है. एक राजनीतिक दल इस घटिया मानसिकता पर उतर आया है कि एक शुभ और गौरव के दिन संसद की तुलना मृत व्यक्ति के ताबूत से की जा रही है.” नीतीश कुमार के नए संसद की क्या ज़रूरत है वाले बयान पर पूर्व डिप्टी सीएम ने जवाब दिया, ”अगर ज़रूरत नहीं है तो पटना में म्यूज़िम की भी ज़रूरत नहीं थी, उसे क्यों बनवाया गया.”

पार्टी के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, ”राष्ट्रपति पद संसदीय व्यवस्था का अभिन्न अंग है. संसद के एक महत्वपूर्ण समारोह, उसके उद्घाटन के समारोह से राष्ट्रपति को अलग करना संसदीय व्यवस्था और राष्ट्रपति पद, दोनों की महत्ता का अपमान है.”कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने भी आरोप लगाया कि राष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाली पहली आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मु को उनके संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने दिया जा रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश ने ट्वीट किया, ”28 मई को आज के दिन: नेहरू, जिन्होंने भारत में संसदीय लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए सबसे अधिक काम किया, उनका 1964 में अंतिम संस्कार किया गया था.” रमेश ने कहा, ”सावरकर, जिसकी विचारधारा ने ऐसा माहौल बनाया जो महात्मा गांधी की हत्या का कारण बना, उनका जन्म (आज ही के दिन) 1883 में हुआ था.” उन्होंने कहा, ”राष्ट्रपति, जो इस पद पर बैठने वाली पहली आदिवासी हैं, उन्हें अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निभाने नहीं दिया जा रहा है.उन्हें (राष्ट्रपति को) 2023 में नए संसद भवन के उद्घाटन की इजाज़त नहीं दी गई.” रमेश ने आरोप लगाया, ”एक आत्ममुग्ध तानाशाह प्रधानमंत्री, जिन्हें संसदीय प्रक्रियाओं से नफ़रत है, जो संसद में कम ही उपस्थित रहते हैं या कार्यवाहियों में कम ही भाग लेते हैं, वे 2023 में नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहे हैं.”उन्होंने कहा कि तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करना और मीडिया का ढोल पीटना 2023 में गिरावट का सबसे निचला स्तर है.प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर ईश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच ‘गणपति होमम्’ अनुष्ठान किया. पीएम ने ‘सेंगोल’ (राजदंड) को दंडवत प्रणाम किया और हाथ में पवित्र राजदंड लेकर तमिलनाडु के विभिन्न अधीनमों के पुजारियों का आशीर्वाद लिया.वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने नए संसद भवन के उद्घाटन पर देशवासियों को हार्दिक बधाई दी.

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