अब पार्टी का प्रांतीय नेतृत्व समीक्षकों की रिपोर्ट पर मंथन करेगा और फिर संबंधित मामले अनुशासन समिति को कार्रवाई के लिए संदर्भित किए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि अगले सप्ताह तक भितरघातियों के विरुद्ध निर्णय लिए जाने की संभावना है। प्रदेश में भाजपा मिथक तोडऩे में कामयाब रही, लेकिन विधानसभा चुनाव में पिछली बार की अपेक्षा उसे इस बार 10 सीटें कम मिली हैं। वर्ष 2017 में भाजपा ने विधानसभा की 70 में से 57 सीटें जीतकर इतिहास रचा था।

इस विधानसभा चुनाव में पार्टी को 23 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। यही नहीं, चुनाव के दौरान कुछ सीटें ऐसी भी रहीं, जिन पर पार्टी को जीत मिली, लेकिन वहां भितरघात की शिकायतें रहीं। विधानसभा चुनाव के मतदान के तुरंत बाद भितरघात की पहली शिकायत लक्सर सीट से पार्टी प्रत्याशी संजय गुप्ता ने की। गुप्ता ने तो प्रदेश अध्यक्ष को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था। इसके बाद यमुनोत्री सीट से प्रत्याशी केदार सिंह रावत ने भी चुनाव में भितरघात की शिकायत की थी। ये दोनों सीटें भाजपा हार गई। चम्पावत, डीडीहाट व काशीपुर सीटों पर भी भितरघात की शिकायत हुई, लेकिन भाजपा इन्हें जीतने में कामयाब रही।

सके अलावा कुछ अन्य सीटों पर भी भितरघात के आरोप लगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खटीमा सीट से चुनाव हारने के पीछे भी भितरघात को कारण माना गया। इस सबको देखते हुए सरकार का गठन होने के बाद पार्टी ने भितरघात और जिन सीटों पर हार मिली, उसके कारणों की समीक्षा के लिए 13 पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी। पार्टी सूत्रों के अनुसार नौ जिलों के समीक्षकों द्वारा सीलबंद लिफाफों में अपनी रिपोर्ट प्रांतीय मुख्यालय में जमा करा दी गई है। सभी जिलों की रिपोर्ट मिलने के बाद पार्टी की प्रांतीय टोली बैठक में इन्हें खोला जाएगा। भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि चुनाव में भितरघात और 23 सीटों पर हार के कारणों की पड़ताल अभी चल रही है। सभी जिलों की समीक्षा रिपोर्ट मिलने के बाद इन पर विमर्श होगा और फिर पार्टी की अनुशासन समिति निर्णय लेगी।