राज्य की मौसम विविधता के कारण यहां पूरे वर्ष शब्जी एवं पुष्पों की उपलब्धता रहती है- जिलाधिकारी चंपावत
चंपावत । उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थिति एवं कृषि जलवायु विभिन्न औद्योगिक फसलों के साथ-साथ सब्जियों एवं पुष्पों के उत्पादन हेतु अनुकूल है। राज्य की मौसम विविधता के कारण यहां पूरे वर्ष शब्जी एवं पुष्पों की उपलब्धता रहती है। यहां उत्पादित सब्जियां मैदानी क्षेत्रों हेतु बे मौसमी होने के कारण कृषकों को बहुत अच्छा मूल्य प्राप्त होता है। साथ ही पुष्पों की खेती हेतु जलवायु, सुलभ बाजार (दिल्ली, चण्डीगढ़) से नजदीकी के कारण भीअनुकूल है।
उत्तराखंड में वर्तमान में 72.00 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जियों की खेती एवं 1609 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पुष्पों की खेती की जा रही है। जिससे 6.50 लाख मै. टन सब्जी उत्पादन एवं 14.00 करोड़ कट फ्लावर, 3022 मै. टन लूज फ्लावर का उत्पादन प्राप्त हो रहा है। सरकार के विजन 2025 के लक्ष्य को पूरा किए जाने हेतु इसे बढ़ाकर वर्ष 2024-25 तक उद्यानिक उत्पादन को दोगुना किया जाना है । नाबार्ड की आर0आई0डी0एफ0 योजना अंतर्गत 100 वर्ग मीटर के पालीहाउस तैयार किए जाएंगे ।
जनपद चंपावत जो प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पनाओं के अनुरूप एक आदर्श जिले की ओर अग्रसर होने जा रहा है ।
जिलाधिकारी नरेन्द्र सिंह भंडारी ने अवगत कराया कि नाबार्ड की आरआईडीएफ योजना अंतर्गत चम्पावत जिले में औद्योनिकी क्षेत्र को बढ़ावा दिए जाने हेतु 1066 पॉलीहाउस लगाए जाएंगे। इसमें कुल 18 करोड़ 29 लाख रुपए की लागत आ रही है। जिसे 80 फीसदी नाबार्ड से राज्य सहायता तथा 20 फीसदी कृषकांश होगा।
इस संबंध में जिला उद्यान अधिकारी टीएन पांडेय ने अवगत कराया कि कलस्टर अवधारणा को अपनाते हुए चयनित फसलों को पॉलीहाउस में उत्पादित किया जाएगा। इस क्षेत्र में कार्यवाही प्रारंभ हो गई है। किसान अपने उत्पादों को एक स्थान पर एकत्रित कर बिना किसी बिचौलिए के सीधे बाजार में लाकर उचित मूल्य पा सकता है। उन्होंने अवगत कराया कि पालीहाउस स्थापना हेतु महिला समूह को वरीयता प्रदान की जाएगी। कृषक अपने सगे संबंधियों एवं पड़ोसियों के साथ भी समूह बनाकर सामूहिक रूप से अपनी भूमि पर समझौते के आधार पर पॉलीहाउस की स्थापना कर सकते हैं।पॉलीहाउस के सफल संचालन हेतु तकनीकी रूप से लाभार्थियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत छोटे एवं मध्यम कृषक महिला एवं सहायता समूहों व सरकारी समितियों के सदस्य पात्र होंगे ।