महंगाई से परेशान भारत के लिए दोहरी मार होगा- जंग का लंबी चलना
Himkelahar Team February 26, 2022 0केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वैश्विक शांति के लिए पहली बार बड़ी चुनौतियां लेकर आया है। यह हालात भारत के विकास के लिए भी नई चुनौतियां पेश करेंगे। महामारी से हुए आर्थिक नुकसान के बाद अब सुधार हो रहा है। इतने बड़े स्तर का युद्ध न केवल विश्व शांति के लिए बल्कि हमारे लिए भी नई चुनौतियां पैदा कर रहा है।
नोमुरा के मुताबिक, जैसे की रिपोर्ट में सामने आया है कि मौजूदा भू-राजनैतिक तनाव की वजह से आने वाले महीनों में महंगाई में और भी उछाल आ सकता है। ऐसे में इसे काबू में करने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कंधों पर होगी और इसके लिए केंद्रीय बैंक को बड़े फैसले लेने होंगे। रिपोर्ट में अर्थशास्त्रियों ने अनुमान जताया है कि इसके चलते आरबीआई जून में होने वाली एमपीसी बैठक में नीतिगत दरों को बढ़ा सकता है।
गौरतलब है कि भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात पर निर्भर है। अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। युद्ध के हालातों में अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो देश में आयात महंगा हो जाएगा। विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा। साथ ही बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है और डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी, इसके असर से हर जरूरत की चीज पर महंगाई की और मार पड़ेगी।
भारत का यूक्रेन और रूस के साथ व्यापार अच्छे-खासे स्तर पर है। ऐसे में दोनों देशों के बीच जारी युद्ध अगर लंबा होता है तो भारत में इसके प्रभाव कुछ जरूरी चीजों पर महंगाई के रूप में देखने को मिल सकते हैं। बता दें कि भारत यूक्रेन से खाने के तेल से लेकर खाद और न्यूक्लियर रिएक्टर जैसी चीजों की खरीदारी करता है। युद्ध होता है तो दोनों देशों के बीच व्यापार नहीं होगा और भारत के लिए परेशानी बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध के हालात में भारत को निर्यात का नुकसान होगा, वहीं जिन चीजों को भारत यूक्रेन से खरीदता है उन पर प्रतिबंध लगने से महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल का भाव बढ़ने से आयात का खर्चा बढ़ेगा और घरेलू स्तर पर महंगाई का दबाव बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
अगर दो देशों के बीच यूद्ध होता है तो इसका बड़ा असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है और पहले से ही महंगाई से परेशान भारत के लिए तो ये दोहरी मार से कम नहीं होगा। बता दें कि देश में खाने के तेल का बड़े पैमाने पर यूक्रेन से आयात करता है। जी हां, यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत की बात करें तो यहां पिछले कुछ समय से खाने के तेल के दाम पहले से ही आसमान पर है और युद्ध के चलते सप्लाई रुकी तो इसकी कीमतों में और आग लगनी संभव है। इसके अलावा रूस भारत को खाद देता है और युद्ध के हालातों के बीच इसके आयात में भी रुकावट आ सकती है। देश में पहले से ही यूरिया संकट है तो हालात और खराब होंगे, इस समस्या का सीधा असर किसानों पर पड़ेगा।
आपको बता दें कि देश का ऑटोमोबाइल सेक्टर सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में रूस और यूक्रेन की बीच जारी जंग का प्रभाव इस क्षेत्र पर पड़ना तय है। दरअसल, यूक्रेन ऑटोमोबाइल सेक्टर को प्रभावित करने वाला होगा। इसका कारण ये है कि यूक्रेन सेमीकंडक्टर की खास धातु पेलेडियम और नियोन का उत्पादन करता है। जंग के हालात में इन धातुओं का उत्पादन प्रभावित होगा और सेमीकंडक्टर की कमी का ये संकट और भी अधिक बढ़ जाएगा।
गौरतलब है कि रूस नेचुरल गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है जो वैश्विक मांग का लगभग 10 फीसदी उत्पादन करता है। दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण जाहिर है कि नेचुरल गैस की सप्लाई पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और ईंधन की कीमतों में आग लग जाएगी। बता दें कि यूरोप की निर्भरता रूस पर अधिक है। यूरोप में 40 फीसदी से ज्यादा गैस रूस से ही आती है। इसका सीधा असर आम आदमी पर होगा। इसके अलावा रूस विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल उत्पादक है। यूरोप के देश 20 फीसदी से ज्यादा तेल रूस से ही लेते हैं। इसके अलावा, ग्लोबल उत्पादन में विश्व का 10 फीसदी कॉपर और 10 फीसदी एल्युमीनियम रूस बनाता है।