बाबा रामदेव को सर्विस टैक्स का करना होगा भुगतान , सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश
योग गुरु बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर बड़ा झटका दिया है क्योकि अब उनके द्वारा लगाया जाने वाला योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आ गए हैं । अब बाबा को सर्विस टैक्स यानी सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा।सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एम ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस सिलसिले में सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा है । सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने अपने फैसले में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को आवासीय और गैर-आवासीय दोनों योग शिविरों के आयोजन के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान अनिवार्य बताया था ।पतंजलि ट्रस्ट ने सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मेरठ के आयुक्त के अक्टूबर 2012 के आदेश को चुनौती देने के लिए CETSAT से संपर्क किया था, जिसमें 4.94 करोड़ रुपये सर्विस टैक्स और इतनी ही राशि जुर्माने की मांग की पुष्टि की गई थी।CESTAT के समक्ष बहस करते हुए ट्रस्ट ने तर्क दिया कि उसकी गतिविधियां स्वास्थ्य और फिटनेस सेवाओं की कैटेगरी के तहत टैक्स वाली नहीं हैं, क्योंकि इसका शारीरिक फिटनेस के लिए योग है न कि उपचार उद्देश्य के लिए है। ट्रस्ट ने यह भी कहा कि उसने इन योग शिविरों में प्रतिभागियों से जो स्वैच्छिक दान लिया है और किसी भी सेवा के तहत नहीं लिया है।ट्रस्ट की अपील को खारिज करते हुए CETSAT ने वित्त अधिनियम 1994 में “स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा” की परिभाषा को सही माना। इसमें “सॉना (Sauna) और भाप स्नान, तुर्की स्नान, सोलारियम, स्पा, बॉडी को फिट करने या स्लिमिंग सैलून, व्यायामशाला, योग, ध्यान, मालिश (चिकित्सीय मालिश को छोड़कर) जैसे शारीरिक मजबूती के लिए सेवा” लिखा।” ट्रस्ट के इस तर्क पर कि जो प्राप्त हुआ वह दान था, सीईटीएसएटी ने कहा, “यह बिल्कुल साफ है कि राशि… कुछ और नहीं बल्कि स्वास्थ्य और फिटनेस सेवाओं के तहत कर योग्य सेवा के प्रावधान पर विचार था।”