उत्तराखंड

बागियों को तो मना लेंगे, लेकिन जो नाराज होकर खामोश हैं?

भाजपा और कांग्रेस ने अपने बागियों को मनाने के लिए बिसात बिछाई हुई है

विधानसभा चुनाव इस वक्त रोचक मोड़ पर है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने बागियों को मनाने के लिए बिसात बिछाई हुई है। सवाल ये है कि इन बागियों को तो मना लेंगे, लेकिन पार्टियों के जो नेता नाराज होकर खामोश हैं, उनसे कैसे निपटेंगे।

दरअसल, भाजपा ने इस बार अपने कई विधायकों के टिकट काट दिए हैं। कांग्रेस ने भी कई उन दावेदारों को नाराज किया है जो कि पूरी तरह टिकट मिलने को लेकर आश्वस्त थे। यह विधायक, इनके कार्यकर्ता और वह दावेदार अपनी पार्टियों से बागी तो नहीं हुए। उन्होंने निर्दलीय या अन्य पार्टियों से नामांकन भी नहीं किया, लेकिन पार्टियों के लिए इन्हें मनाकर रखना बड़ी चुनौती साबित होगी।
दरअसल, यह ऐसे खामोश नेता हैं जो कि कहीं न कहीं असंतुष्ट हैं लेकिन अपनी नाराजगी बागियों की तरह खुलकर जाहिर नहीं कर रहे हैं। दोनों ही पार्टियों ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए बड़े पैमाने पर कसरत शुरू की हुई है। अब सोमवार को नाम वापसी के बाद यह तो साफ हो जाएगा कि कितने बागियों को कौन मनाने में कामयाब रहा लेकिन इन खामोश असंतुष्ट नेताओं का असर दस मार्च को मतगणना में ही नजर आएगा।
पिछले चुनाव का विश्लेषण करें तो कई विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के कई असंतुष्ट खामोश नेताओं ने ही बाजी पलटी थी। कई सीटों पर पार्टियों के प्रत्याशी नजदीकी मुकाबले से हार गए थे। कई सीटों पर इन खामोश नेताओं की वजह से दूसरी पार्टियों के प्रत्याशी नजदीकी अंतर से जीते थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को रूठे नेताओं को मनाने के लिए कपकोट और जागेश्वर का दौरा किया। कपकोट में बगावत पर उतरे पूर्व विधायक शेर सिंह गढ़िया, जागेश्वर में पूर्व में चुनाव लड़ चुके सुभाष पांडे को मनाने में वह सफल रहे। बंद कमरों में बातचीत के बाद दोनों ही जगह रूठे नेता पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में कामक करने पर सहमत हो गए। सीएम ने जागेश्वर धाम में पूजा-अर्चना भी की और बाद में द्वाराहाट में जाकर जनसंपर्क भी किया।
टिकट बंटवारे से नाराज चल रहे कपकोट के पूर्व विधायक शेर सिंह गढ़िया अंतत: मान गए हैं। उन्हें मनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रविवार को कपकोट पहुंचे। बंद कमरे में करीब आधे घंटे की गुफ्तगू के बाद गढ़िया और धामी एक दूसरे का हाथ थामे नजर आए और उन्होंने सब ठीकठाक होने का संदेश दिया। गढ़िया की नाराजगी दूर करने के बाद सीएम ने भराड़ी बाजार में घर-घर जाकर जनसंपर्क किया और घोषित प्रत्याशी सुरेश गढ़िया के पक्ष में समर्थन मांगा। गढ़िया को मनाने के बाद सीएम ने भराड़ी में घर-घर जाकर जनसंपर्क किया। इस दौरान उन्होंने दुकानदारों से बातचीत की। लोगों की बातों को सुना। सीएम ने कहा कि विकास के लिए हाथ, झाड़ू, हाथी पैसा नहीं ला सकते हैं। लक्ष्मी केवल कमल में बैठकर ही आएगी और ऐसा भाजपा की सरकार बनने पर ही संभव है
सीएम धामी के कार्यक्रम में सुरेश गढ़िया मौजूद नहीं थे, जिसे लेकर वहां मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। हालांकि, पार्टी की ओर से गढ़िया के चुनाव प्रचार के चलते कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाने की बात कही गई है।
अल्मोड़ा सीट के बाद अब जागेश्वर में भी भाजपा में बगावत का शोर खत्म हो गया है। इस सीट से पूर्व में चुनाव लड़ चुके सुभाष पांडे का टिकट काटकर मोहन सिंह मेहरा को दिया गया था। इससे सुभाष पांडे और उनके समर्थकों में रोष था। रविवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जागेश्वर पहुंचकर सुभाष पांडे को मनाया जिस पर सुभाष ने अब प्रत्याशी को जिताने का निर्णय लिया है।
भाजपा कालाढूंगी सीट पर डैमेज कंट्रोल करने में सफल रही है। यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल करने वाले वरिष्ठ नेता गजराज सिंह बिष्ट ने जहां दिन में अपने समर्थकों के साथ पार्टी को निशाने पर लिया वहीं शाम को वह मान गए। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत उन्हें मनाने के लिए उनके घर पहुंचे जहां गजराज को मनाने की कोशिश रंग लाई।
भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज होकर भीमताल से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में परचा भरने वाले पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष मनोज साह ने हर हाल में चुनाव लड़ने का एलान किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने उसे टिकट दिया जो हमेशा भाजपा विरोधी रहा है ऐसे में कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने लालकुआं विधायक नवीन दुम्का को गजराज बिष्ट के आवास पर बुलाकर उनसे भी काफी देर तक बात की। बताया जा रहा है कि पूर्व सीएम ने नवीन दुम्का से चुनाव संबंधित चर्चा की।

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