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दून मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोग विभाग के पीजी डॉक्टरों में हुआ विवाद, प्राचार्य ने कहा, गुटबाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे

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देहरादून। नेत्र रोग विभाग में पिछले कुछ दिनों से फैकल्टी में  समन्वय नहीं है। प्राचार्य तक भी कई मामले पहुंचे हैं। बताया गया है कि फैकल्टी के दो गुट बने हैं। विभाग स्तर पर कई नोटिस जारी हुए हैं, कई तरह के प्रतिबंध एवं बदलाव किए गए हैं। कमरों तक पर लड़ाई है। गुटबाजी से विभाग की व्यवस्था बिगड़ी है। सूत्रों के मुताबिक अब पीजी की लड़ाई में भी ये गुटबाजी हावी है। प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के पीजी डॉक्टरों की ओर से प्राचार्य को शिकायत की गई है। एक-दूसरे पर उत्पीड़न, मानसिक शोषण समेत अन्य गंभीर आरोप लगाए हैं।

प्राचार्य ने छह वरिष्ठ डॉक्टरों की कमेटी बना जांच बैठा दी है। मंगलवार को अस्पताल में कमेटी की बैठक की। करीब छह घंटे तक दोनों पक्षों से पूछताछ की और कलमबंद बयान दर्ज किए। मंगलवार को एनॉटमी एचओडी प्रो. डॉ. एमके पंत, गायनी एचओडी डॉ. चित्रा जोशी, माइक्रोबॉयोलॉजी एचओडी डॉ. शेखर पाल, पैथोलॉजी से प्रोफेसर डॉ. ममता गुप्ता, सर्जरी से एसो. प्रो. डॉ. प्रदीप शर्मा, कम्युनिटी मेडिसिन से डॉ. शिव यादव की कमेटी की बैठक हुई। दोनों पक्षों की शिकायतों का अध्ययन किया और एचओडी डॉ. शांति पांडेय से भी जानकारी ली। पीजी डॉक्टरों से सुबह 11 से शाम पांच बजे तक पूछताछ एवं लिखित बयान लिए गए। कमेटी सदस्यों ने दोनों पक्षों से सौहार्दपूर्ण माहौल बनाए रखने की अपील की।एक की शिकायत में पीजी डॉक्टर के अलावा एक एसआर-पांच अन्य पीजी के हस्ताक्षर भी है। एचओडी ने इस पत्र को अपने कवर लेटर के साथ यह कहकर प्राचार्य को भेजा है कि विभाग स्तर पर वार्ता के बाद हल नहीं निकला, कमेटी को इसे सौंपा जाए। वहीं दूसरे पक्ष से अकेली पीजी डॉक्टर ने शिकायत की है।प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने कहा कि पीजी डॉक्टर एक परिवार का हिस्सा है। किसी बात को लेकर मनमुटाव हो गया। कमेटी ने सबसे मौखिक एवं लिखित बयान लिए हैं। पढ़ाई, प्रैक्टिस पर फोकस करने की अपील की है। एक सप्ताह में दोबारा कमेटी बैठेगी। तब तक आपस में बातचीत को बोला है। सौहार्दपूर्ण माहौल बनें, ऐसा प्रयास है। दोनों पक्ष सहमत नहीं होंगे तो कमेटी जो संस्तुति करेगी, कार्रवाई करेंगे। फैकल्टी की गुटबाजी के बारे में जानकारी मिली है। उसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। पीजी छात्रों को उनके अच्छे भविष्य एवं मरीजों के हित का पाठ पढ़ाएं। सुधार न किया तो कड़ी कार्रवाई के लिए शासन से संस्तुति करेंगे।

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