उत्तराखंड

एग्जिट पोल ने उत्तराखंड और गोवा में सियासी हलचल तेज कर दी

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों की नजर निर्दलीय प्रत्याशियों पर जा टिकी

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही अब मतगणना की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 10 मार्च को पांचों राज्यों के नतीजे सुबह से आना शुरू हो जाएंगे। लेकिन इस बीच आए एग्जिट पोल ने उत्तराखंड और गोवा में सियासी हलचल तेज कर दी है। दोनों राज्यों में कौन सरकार पर काबिज होगा इसे लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं है। कुछ एग्जिट पोल दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनाते दिखा रहे हैं, जबकि कुछ कांग्रेस को मुकाबले में आगे बता रहे हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा और कांग्रेस ने तमाम विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है। मंगलवार रात से ही गोवा में जहां कांग्रेस उम्मीदवार और पार्टी के नेता एक होटल में एकत्रित होंगे, जबकि पार्टी उत्तराखंड में भी ऐसा ही कुछ करने पर विचार कर रही है। पार्टी ने राज्य में होटल बुक करना भी शुरू कर दिया है। वहीं इधर भाजपा ने भी अपने विधायकों को एकजुट करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों से लेकर तमाम बड़े नेताओं को तैनात कर दिया है।
इससे पहले कांग्रेस हाईकमान ने अपने वरिष्ठ नेताओं को उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में तैनात किया है। कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डीके शिवकुमार, जिन्होंने पहले भी कई बार बहुमत के आंकड़े से पीछे रहने पर पार्टी के लिए सरकार गठन में अहम भूमिका निभाई है। उन्हें पार्टी ने गोवा में विशेष पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी हैं। वहीं वरिष्ठ नेता और महासचिव मुकुल वासनिक और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव और विंसेंट पाला को मणिपुर भेजा गया है। जबकि कांग्रेस महासचिव अजय माकन और पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा को पंजाब भेजा है। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में तैनात किया गया है।
कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्यों के प्रभारी और चुनाव पर्यवेक्षक आलाकमान के निर्देशानुसार इन प्रदेशों में मौजूद होंगे और सियासी तोड़-फोड़ की किसी भी चुनौती से निपटने का प्रयास करेंगे। अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के प्रतिनिधियों को भी तैनात किया जा रहा है, जो खंडित जनादेश आने की स्थिति में निर्वाचित विधायकों को लेकर संबंधित प्रदेशों की राजधानियों में पहुंचेंगे। इसके बाद उन्हें जरूरत पड़ने पर जयपुर या रायपुर भी भेजा जा सकता है। क्योंकि इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार हैं और ऐसे में यह पार्टी के विधायकों के लिए सबसे सुरक्षित जगह मानी जा सकती हैं।
पिछली बार से सबक लेते हुए गोवा कांग्रेस इस बार सतर्क हो गई है। कांग्रेस ने नतीजे आने के बाद गठबंधन का संकेत देते हुए अपने उम्मीदवारों को सुरक्षित ठिकाने पर ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को संभालने का जिम्मेदारी महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री सतेज पाटिल को दी है। कांग्रेस ने फिलहाल अपने उम्मीदवारों को गोवा के ही एक रिजॉर्ट में रखा है, लेकिन उन्हें राजस्थान भेजने की तैयारी है। इसके अलावा कांग्रेस गोवा में आम आदमी पार्टी और टीएमसी से समर्थन हासिल करने की भी रणनीति पर काम कर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ और दिग्गज नेता पी चिदंबरम फिलहाल गोवा में ही हैं। कांग्रेस वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने के अनुरोध पर अमर उजाला से कहा कि फिलहाल हम नहीं चाहते कि कोई कोर कसर रह जाए। गोवा में 2017 में जो हुआ, वह इस बार नहीं हो सकेगा क्योंकि हम पूरी तैयारी कर रहे हैं।
गोवा के पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी, लेकिन भाजपा कुछ स्थानीय दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने में सफल रही। तब माना गया है कांग्रेस नेतृत्व ने फैसले लेने में देरी की और इसी वजह से छोटे दल भाजपा के पाले में चले गए। इस बीच गोवा के सीएम और भाजपा नेता प्रमोद सावंत ने पीएम नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की और उन्हें गोवा में सत्ता में बनाए रखने की पार्टी की संभावनाओं पर चर्चा की। इस मीटिंग के बाद सावंत भाजपा गोवा प्रभारी देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक करने के लिए मुंबई पहुंचेंगे। माना जा रहा है कि फडणवीस गठबंधन के लिए महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के साथ बातचीत कर रहे हैं। यही नहीं, भाजपा निर्दलीय उम्मीदवारों तक भी अपनी पहुंच रिजल्ट आने से पहले ही बनाए हुए है। एग्जिट पोल्स की मानें तो गोवा में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने की संभावना जताई गई है।
इधर, उत्तराखंड में भी दोनों ही दलों के नेता चुनाव के बाद किसी भी स्थिति को मैनेज करने और फैसले लेने की तैयारी में जुट चुके हैं। मतगणना के बाद हंग असेंबली की स्थिति बनने पर त्वरित फैसले लेने को लेकर दोनों पार्टियों के बड़े नेता देहरादून में पहुंच चुके हैं। भाजपा की तरफ से वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय यहां पर पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक की मदद के लिए पहुंच चुके हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल अंतिम फैसले तक पहाड़ी राज्य में डटे रहेंगे। भाजपा के नेताओं ने देहरादून में सभी नेताओं के साथ बैठक की।
वहीं कांग्रेस पार्टी के लिए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ ही दीपेंद्र हुड्डा भी बैठक कर रहे हैं। सोमवार को शहर के एक होटल में हुई कांग्रेस की बैठक में पूर्व सीएम हरीश रावत भी मौजूद रहे, जहां यह फैसला हुआ कि सभी 13 जिलों में वोटों की गिनती के लिए कांग्रेस के नेता मौजूद रहेंगे। कांग्रेस ने गोवा और मणिपुर में 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों से सबक लिया है, जहां सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बावजूद सरकार नहीं बना सकी थी। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने कहा कि पार्टी यहां किसी भी तरह का चांस नहीं लेगी।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी एक साथ तीन प्लान पर काम कर रही हैं। पहले प्लान के अनुसार भाजपा पूर्ण बहुमत मिलने पर वह बिना किसी अन्य दल का समर्थन लिए सरकार बनाएगी। प्लान में बी में बड़े नेताओं की भूमिका अहम होगी। क्योंकि इन नेताओं को निर्दलीय विधायकों के साधने की जिम्मेदारी होगी। जबकि प्लान सी में अगर मुकाबला कांटे का होता है, तो बड़े नेता इस रणनीति पर काम करेंगे कैसे पार्टी राज्य में फिर से सत्ता में आ सके।
भाजपा के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सभी कार्यकर्ताओं को आखिरी वोट की गिनती तक अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। जबकि उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम ने भी डेरा डाल दिया है। 70 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में हंग असेंबली बनने की स्थिति में किंगमेकर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों की नजर निर्दलीय प्रत्याशियों पर जा टिकी हैं, जिनके जीतने की संभावना अधिक है। प्रदेश की 2-3 सीटों पर बीएसपी के उम्मीदवारों ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है।

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