रक्षाबंधन का पर्व गुरुवार 11 अगस्त को ही मनाया जाएगा!!!
इस साल रक्षाबंधन का पर्व गुरुवार, 11 अगस्त को मनाया जाएगा. हालांकि इस बार रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा के साये में मनाया जाएगा. ज्योतिषियों का कहना है कि भद्रा इस बार पृथ्वी लोक में मान्य नहीं होगी इसलिए 11 अगस्त को रक्षाबंधन मना सकते हैं।
.श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को राखी का त्योहार मनाए जाने की परंपरा है. इस दिन बहनें भाई की कलाई पर स्नेह और प्रेम का सूत्र बांधती हैं और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस साल रक्षाबंधन का पर्व गुरुवार, 11 अगस्त को मनाया जाएगा। पंडितों का कहना है कि 12 अगस्त को भले ही उदया तिथि में पूर्णिमा है लेकिन इस दिन सुबह 7 बजकर 6 मिनट के बाद ही प्रतिपदा तिथि लग जाएगी. दूसरी बात ये है कि 11 अगस्त को पूर्णिमा का रात्रिकालीन चांद भी दिखेगा, पूर्णमासी के दिन ही रक्षाबंधन मनाना चाहिए. इन सारी वजहों से ज्योतिषी 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए कह रहे हैं.रक्षाबंधन पर भद्रा पुंछ 11 अगस्त को शाम 5 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा और 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इसके बाद भद्रा मुख शाम 6 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और रात 8:00 बजे तक रहेगा।कुल मिलाकर राखी पर भद्रा रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगी. हालांकि, 11 अगस्त को ये भद्रा पृथ्वी पर मान्य नहीं होगी. ज्योतिषविदों का कहना है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा जरूर रहेगी, लेकिन इससे त्योहार की समयावधि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. दरअसल यह भद्रा मकर राशि यानी पाताल लोक में होगी.इसलिए इस भद्रा का पृथ्वी या पृथ्वी पर होने वाले किसी भी मांगलिक कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यानी आप बेफिक्र होकर किसी भी वक्त भाई की कलाई पर स्नेह और रक्षा का सूत्र बांध सकती हैं. रक्षाबंधन मैं भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है।
ऐसा कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था. ऐसा कहा जाता है कि भद्रा शनिदेव की बहन थी. भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा.
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त:
अभिजीत मुहूर्त- 11 अगस्त को सुबह 11 बजकर 37 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक
विजय मुहूर्त- 11 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक