उद्धव की अर्जी पर सुनवाई, शिंगे गुट के वकील ने कहा- फ्लोर टेस्ट होना चाहिए, अगर नंबर है तो जीत जाएंगे, नहीं हैं तो हार जाएंगे
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने अपनी ही पार्टी के 50 असंतुष्ट विधायकों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए कहा कि वे कोई भी “फ्लोर टेस्ट” नंबर पास कर सकते हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार से गुरुवार को शक्ति परीक्षण कराने को कहा है, हालांकि शिवसेना ने इस निर्देश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुबह 11 बजे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विश्वास मत के एजेंडे के साथ सत्र बुलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई।
उद्धव गुट की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। उद्धव ठाकरे की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आज हमें फ्लोर टेस्ट का पता चला। सदस्यों के सत्यापन के बिना वोट कैसे हो सकता है। निर्वाचन मंडल की वैधता पर विचार करना होगा। दो एनसीपी विधायक कोरोना संक्रमित हैं। शिवसेना की ओर से पेश सिंधवी ने कहा कि राज्यपाल ने मामले में तेजी से काम किया। इसके साथ ही उद्धव गुट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि स्पीकर के फैसले से पहले वोटिंग ना कराई जाए। अयोग्यता को लेकर पहले फैसला हो। यानी उद्धव गुट की ओर से पेश वकील सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि पहले सदस्य वोट देने के योग्य है या नहीं इस पर फैसला हो जाए। इसके बाद वोटिंग कराई जाए। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हम तय करेंगे की नोटिस वैध है या नहीं है। इसके साथ ही एससी ने पूछा कि इससे फ्लोर टेस्ट कैसे प्रभावित होगा ये बताएं?
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अयोग्यता को लेकर अगर स्पीकर फैसला लेते हैं। उन्हें विधानसभा का सदस्य ही नहीं माना जाता तो वे वोट कैसे करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या दोबारा फ्लोर टेस्ट के लिए कोई न्यूनतम समय सीमा है?जिस पर सिंघवी ने कहा कि छह महीने से पहले दोबारा फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता। सिंघवी ने गवर्नर पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि भगत सिंह कोश्यारी ने सीएम की सलाह पर फैसला नहीं लिया। बल्कि नेता विपक्ष की सलाह पर काम कर रहे हैं।
बागी गुट को लेकर सिंघवी ने कहा कि ये लोग महाराष्ट्र से गुवाहाटी चले गए और रास्ते में उन्होंने एक असत्यापित खाते से एक ईमेल भेजते हुए कहा कि हमें स्पीकर पर भरोसा नहीं है। वे विपक्ष के साथ मिल गए हैं। उन्होंने पूछा, ”विपक्ष के नेता से मिलने के बाद राज्यपाल बिना स्थिति की जांच किए फ्लोर टेस्ट कैसे करा सकते हैं। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “जब तक डिप्टी स्पीकर बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर फैसला नहीं कर लेते, तब तक अदालत को फ्लोर टेस्ट की अनुमति नहीं देनी चाहिए। सिंघवी ने दल बदल कानून का हवाला देत देते हुए कहा कि कानून और दसवीं अनुसूची का मजाक उड़ाया जा रहा है। निर्दलीय पार्टी में जाएं तो भी कानून लागू होता है। कल फ्लोर टेस्ट नहीं होगा तो क्या आसमान गिर जाएगा। राज्यपाल के फैसले की समीक्षा कर सकता है कोर्ट।
सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट के तरफ से वकील ने अपनी दलील शुरू की। नीरज किशन कौल ने कहा कि फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं होनी चाहिए। जवाबदेही तय करने का तरीका सदन में है। लंबित केस कभी फ्लोर टेस्ट नहीं रोक सकते। अयोग्यता का मामला फ्लोर टेस्ट से अलग है। ये अदालत के हस्तक्षेप का सवाल नहीं है। नीरज किशन कौल ने अपनी बात रखते हुए ये भी कहा कि अभी एक ऐसी स्थिति बन चुकी है जहां पर सरकार बहुमत खो चुकी है, लेकिन सत्ता में बने रहने की कोशिश की जा रही है।