नहीं होता यह हादसा अगर समय रहते संवेदनशील हिस्से का स्थाई उपचार किया होता
देहरादून – समय रहते संवेदनशील हिस्से का स्थाई उपचार किया जाता तो शायद आज सुरंग के अंदर 40 मजदूर नहीं फंसते। यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में मलबा गिरने की यह कोई पहली घटना नहीं है।
इसी संवेदनशील हिस्से में पूर्व में भी कई बार मलबा गिर चुका है। इसका स्थाई उपचार सुरंग आरपार करने के बाद किया जाना था।
चारधाम सड़क परियोजना के तहत सिलक्यारा से पोलगांव के बीच करीब 4.5 किमी लंबी सुरंग बनाई जा रही है। बीते रविवार को सुरंग के सिलक्यारा वाले मुहाने से करीब 230 मीटर अंदर 35 मीटर हिस्से में भारी भूस्खलन हुआ जिसका मलबा करीब 60 मीटर दायरे में फैलने से सुरंग बंद हो गई। इससे सुरंग में काम कर रहे 40 मजदूर फंस गए।
निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों ने बताया कि जिस जगह भूस्खलन हुआ है वह सुरंग का काफी संवेदनशील हिस्सा है। पहले भी कई बार उक्त जगह पर मलबा गिरा है। यहां सुरक्षा के लिए इंतजाम किए गए थे लेकिन स्थाई उपचार सुरंग के आरपार करने के बाद किया जाना था। बताया कि यदि इस हिस्से का स्थाई उपचार करते हुए आगे निर्माण किया गया होता तो इस तरह की घटना नहीं होती।
मलबे के भारी प्रेशर के कारण टूट गई सुरंग
हादसे के बाद सोमवार को पहुंचे आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा कहना है कि इस संवेदनशील हिस्से में रिब्ड डालने के बाद रॉक बोल्टिंग व प्राइमरी लाइनिंग भी की गई थी लेकिन मलबे के भारी प्रेशर के कारण सुरंग टूट गई। उन्होंने बताया कि इस हिस्से का बाद में स्थाई उपचार कराया जाएगा।
घटना के बाद सीबीआरआई (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) व वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान आदि कई संंस्थानों की टीमें पहुंची है जो कि घटना के पीछे के कारणों को जानने का प्रयास करेगी। बताया जा रहा है कि टीमों ने टनल के अंदर आए मलबे के साथ जिस पहाड़ पर टनल बनाई जा रही है उसके ऊपरी हिस्से से मिट्टी व चट्टान के सैंपल भी परीक्षण के लिए एकत्र किए गए हैं।