होम क्रेडिट इंडिया की ओर से किए गए “द ग्रेट इंडियन वॉलेट” अध्ययन से वित्तीय कल्याण में बढ़ते आत्मविश्वास का पता चलता है; दो-तिहाई कंज़्यूमर बचत और निवेश का दावा करते हैं – Himkelahar – Latest Hindi News | Breaking News in Hindi

होम क्रेडिट इंडिया की ओर से किए गए “द ग्रेट इंडियन वॉलेट” अध्ययन से वित्तीय कल्याण में बढ़ते आत्मविश्वास का पता चलता है; दो-तिहाई कंज़्यूमर बचत और निवेश का दावा करते हैं

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देहरादून में, 2024 में औसत व्यक्तिगत मासिक आय 37 हजार रुपये है, जबकि 2023 में यह 31 हजार रुपये थी; वहीं, स्थिर मासिक खर्च 2024 में 21 हजार रुपये है, जबकि 2023 में यह 15 हजार रुपये था।

देहरादून में 70% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे 2024 में बचत करने में सक्षम थे।

जब आवश्यक मासिक खर्च की बात आती है, तो देहरादून के लोग किराने पर सबसे अधिक खर्च करते हैं (28%), किराया (14%), यात्रा (21%), बच्चों की शिक्षा (10%), चिकित्सा (13%), बिजली (7%), खाना पकाने की गैस (4%), और मोबाइल (2%)।

46% उत्तरदाताओं ने ‘यूपीआई पर क्रेडिट’ का उपयोग करने में रुचि दिखाई और 21% उत्तरदाताओं ने निकट भविष्य में यूपीआई लाइट का उपयोग करने में रुचि दिखाई। हालांकि, 58% उत्तरदाताओं ने कहा कि अगर यूपीआई सेवा चार्जेबल हो जाती है तो वे इसका उपयोग बंद कर देंगे।

21% कहते हैं कि वे हाथ तंग करके जी रहे हैं, जबकि 9% ने कहा कि उन्हें अपने मासिक खर्च को प्रबंधित करने के लिए पैसे उधार लेने पड़ते हैं।

देहरादून- 22 मई 2024: अग्रणी ग्लोबल कंज़्यूमर फ़ाइनैंस प्रोवाडर की स्थानीय शाखा, होम क्रेडिट इंडिया (HCIN) ने अपने इन-हाउस वार्षिक कंज़्यूमर सर्वे – द ग्रेट इंडियन वॉलेट स्टडी: प्रमुख फ़ाइनैंशियल पहलुओं के प्रति कंज़्यूमर का व्यवहार का दूसरा संस्करण जारी किया।

“ग्रेट इंडियन वॉलेट” का अध्ययन दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, लखनऊ, जयपुर, भोपाल, पटना, रांची, चंडीगढ़, देहरादून, लुधियाना और कोच्चि सहित 17 शहरों में किया गया था। सेंपल साइज़ 18 -55 वर्ष के आयुवर्ग में लगभग 2500 था, जिसकी वार्षिक आय 2 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक की थी।

इसके परिणामों पर बोलते हुए, होम क्रेडिट इंडिया के चीफ़ मार्केटिंग ऑफ़िसर, आशीष तिवारी ने कहा: “”ग्रेट इंडियन वॉलेट” अध्ययन हमारे लिए दिशादर्शक के रूप में काम करता है, जो हमें हर साल कंज़्यूमर के फ़ाइनैंशियल व्यवहार के जटिल परिदृश्य के ज़रिए मार्गदर्शन करता है।मूलभूत व्यवहार संबंधी रुझानों पर गौर करके, हम घरेलू फ़ाइनैंशियल स्थिरता और फ़ाइनैंशियल ट्रांज़ैक्शन में टेक्नॉलॉजी से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं। इस साल का अध्ययन मज़बूत आर्थिक विकास के कारण शहरी और अर्ध-शहरी कंज़्यूमर्स के बीच समग्र वित्तीय कल्याण में उछाल को दिखाता है, जो कंज़्यूमर भावनाओं, खर्च के पैटर्न और विभिन्न जनसांख्यिकी और खंडों के बीच बचत की आदतों में स्पष्ट अंतर्दृष्टि देता है।”

“ग्रेट इंडियन वॉलेट” अध्ययन के अनुसार, वर्तमान स्थिति और भविष्य की धारणा दोनों के संदर्भ में शहरी और अर्ध-शहरी कंज़्यूमर्स के बीच वित्तीय कल्याण सूचकांक में पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि हुई है। 52% कंज़्यूमर्स ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में चालू वर्ष में उनकी आय में वृद्धि हुई है, जबकि 74% कंज़्यूमर्स को उम्मीद है कि आने वाले वर्ष तक उनकी आय में वृद्धि होगी। लगभग दो-तिहाई दावा करते हैं कि वे आनेवाले वर्ष में अधिक (66%) बचाने और अधिक (66%) इंवेस्ट करने में सक्षम होंगे। कंज़्यूमर्स भावना में यह उछाल अर्थव्यवस्था में वृद्धि, कमाई की क्षमता में वृद्धि और आय वृद्धि की सकारात्मक धारणा से प्रेरित है।

क्षेत्रवार, देहरादून में, 2024 में औसत व्यक्तिगत मासिक आय 37 हजार रुपये है, जो 2023 में 31 हजार रुपये थी, जबकि स्थिर मासिक खर्च 15 हजार रुपये से बढ़कर 21 हजार रुपये हो गया है। इसके बावजूद, 2024 में 70% उत्तरदाताओं ने बचत करने में सफलता पाई। आवश्यक मासिक खर्च मुख्य रूप से किराने का सामान (28%), किराया (14%), यात्रा (21%), बच्चों की शिक्षा (10%), चिकित्सा (13%), बिजली (7%), खाना पकाने की गैस (4%), और मोबाइल बिल (2%) पर होता है। वैकल्पिक खर्चों के लिए, स्थानीय लोग स्थानीय यात्रा और दर्शनीय स्थल (30%), बाहर खाना (16%), सिनेमा (9%), फिटनेस (1%), और ओटीटी ऐप्स (1%) पसंद करते हैं। देहरादून चिकित्सा खर्चों पर सबसे अधिक और फिटनेस पर सबसे कम खर्च करने वाले टियर 2 शहरों में शामिल है। पिछले छह महीनों में, 71% लोगों ने कपड़े और एक्सेसरीज़ पर, 30% ने बाहरी यात्रा पर, 28% ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर, 14% ने घरेलू उपकरणों पर और 6% ने होम डेकोर पर खर्च किया। ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के बारे में जागरूकता उच्च है, 80% लोगों ने इसके बारे में सुना या देखा है, 18% इसके शिकार हुए हैं, और 62% को धोखाधड़ी वाले संचार प्राप्त हुए हैं, जिससे यह शहर राष्ट्रीय स्तर पर उच्च स्थान पर है। इसके अतिरिक्त, 46% उत्तरदाताओं ने ‘यूपीआई पर क्रेडिट’ में रुचि दिखाई, और 21% ने यूपीआई लाइट में रुचि दिखाई, हालांकि 58% यूपीआई सेवा चार्जेबल होने पर इसका उपयोग बंद कर देंगे। इसके अलावा, 21% लोग हाथ तंग करके जी रहे हैं, और 9% अपने मासिक खर्च को प्रबंधित करने के लिए पैसे उधार लेते हैं।

इस बीच, राष्ट्रीय स्तर पर इस अध्ययन से पता चलता है कि 2024 में व्यक्तिगत मासिक आय का औसत मेट्रो के लिए 35 हज़ार और टियर 1 और 2 शहरों के लिए 32 हज़ार है, जो 2023 में 33 हज़ार (मेट्रो), 30 हज़ार (टियर 1) और 27 हज़ार (टियर 2) से ज़्यादा है। मेट्रो और टियर 1 शहरों में, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे हैं, जो तरक्की चाहने वाले कंज़्यूमर्स के लिए नई और बेहतर संभावनाएँ मुहैया करवाते हैं। इन शहरों में आय के स्तर में वृद्धि देखी गई है, जिसमें बेंगलुरु और हैदराबाद क्रमशः राष्ट्रीय औसत से 15% और 33% ज़्यादा आय के साथ सबसे आगे हैं।

यह अध्ययन 2024 में निम्न-मध्यम वर्ग के व्यक्तियों के बीच आय और व्यय का अवलोकन भी करवाता है। औसतन, निम्न-मध्यम वर्ग के व्यक्तियों की व्यक्तिगत मासिक आय लगभग 33,000 है, जबकि 2024 में मासिक खर्च 19,000 है। पिछले एक साल में आय में वृद्धि ने खर्चों में वृद्धि के साथ तालमेल बनाए रखा है।

वॉलेट शेयर के संदर्भ में, अध्ययन से पता चला है कि किराना (26%) और किराया (21%) औसत निम्न-मध्यम वर्ग के भारतीयों के ‘वॉलेट शेयर’ पर हावी होने वाले प्राथमिक खर्च हैं।इसके बाद यात्रा (19%), बच्चों की शिक्षा (15%), चिकित्सा व्यय (7%), बिजली बिल (6%), कुकिंग गैस (4%) और मोबाइल बिल (2%) आते हैं।

जहाँ तक विवेक के आधार पर किए गए खर्चों का सवाल है, अलग-अलग जनसांख्यिकी के बीच अलग-अलग खर्च पैटर्न देखे जा सकते हैं। चेन्नई अन्य महानगरों की तुलना में स्थानीय यात्रा/दर्शनीय स्थलों की यात्रा (59%), बाहर खाना (54%) और बाहर फ़िल्में देखना (55%) में सबसे आगे है। दूसरी ओर, लखनऊ स्थानीय यात्रा/दर्शनीय स्थलों की यात्रा (17%) और बाहर खाने (14%) पर सबसे कम खर्च करने वाला है। चेन्नई भी सबसे ज़्यादा किराया (29%) का भुगतान करता है, जबकि कोलकाता और जयपुर सबसे कम (15%) का भुगतान करते हैं। अहमदाबाद और देहरादून फ़िटनेस (1%) पर सबसे कम खर्च करते हैं। बेंगलुरु और कोच्चि बच्चों की शिक्षा (23%) पर सबसे ज़्यादा खर्च करते हैं। देहरादून चिकित्सा व्यय (13%) में सबसे ऊपर है, लेकिन बच्चों की शिक्षा (10%) पर सबसे कम खर्च करता है।

अध्ययन यह भी इशारा करता है कि पिछले छह महीनों में, लगभग 60% लोगों ने परिधान और सहायक उपकरण जैसे फ़ैशन प्रोडक्ट्स खरीदे थे, ‘जनरेशन-ज़ेड’ ने फ़ैशन प्रोडक्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स की खरीदारी की ओर ज़्यादा झुकाव और रुझान दिखाया।

घरेलू खर्च में 6% की औसत वृद्धि के साथ उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। एक से ज़्यादा कमाने वाले सदस्यों के घरों में, मज़दूरी कमाने वाला मुख्य व्यक्ति (CWE-Chief Wage Earner) कुल घरेलू खर्चों का ~80% योगदान करता है, जबकि उसके अलावा बाकी के लोग ~20% योगदान करते हैं। अध्ययन में, 42% महिलाएँ अपने-अपने घरों में CWE हैं।

बचत के संदर्भ में, ~60% कंज़्यूमर्स अपने मासिक निश्चित खर्चों को कवर करने के बाद आपातकालीन खर्च पूरे करने के लिए नकद रिज़र्व बनाने को प्राथमिकता देते हैं। अध्ययन के अनुसार, पुरुष (62%) बचत में महिलाओं (50%) से आगे निकल जाते हैं। इसी तरह, जेनरेशन ज़ेड (68%) मिलेनीयल्स (62%) और ज़ेनरेशन एक्स (53%) की तुलना में बचत के प्रति एक मज़बूत झुकाव या रुझान दिखात है। क्षेत्रीय रूप से, पूर्व दिशा के कंज़्यूमर्स पश्चिम (61%), दक्षिण (59%) और उत्तर (59%) की तुलना में उच्च बचत दर (63%) दिखाते हैं। इसके अलावा, महानगरों ने बचत का नेतृत्व किया, 62% शहरी कंज़्यूमर्स ने टियर 1 (61%) और टियर 2 (54%) शहरों पर बचत को प्राथमिकता दी।

अध्ययन के अनुसार, कंज़्यूमर्स का पाँचवाँ हिस्सा ; (21%) फ़ाइनैंशियल फ़्रॉड का शिकार हुआ है। दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद और पुणे जैसे शहर फ़ाइनैंशियल फ़्रॉड की घटनाओं की बहुतायत की रिपोर्ट करते हैं। पुरुषों, जेनरेशन ज़ेड और उत्तर दिशा के कंज़्यूमर्स ने बताया कि पिछले महीनों में उन्हें लगातार धोखाधड़ी वाली कॉल और संदेश मिले हैं। अध्ययन से यह भी पता चला है कि 19% कंज़्यूमर्स अपने स्मार्टफ़ोन पर अपना फ़ाइनैंशियल डेटा स्टोर करते हैं, जबकि 24% ने अपने दोस्तों और परिवार के साथ इस तरह के संवेदनशील डेटा को शेयर किया, जो डेटा सेक्योरिटी के लिए लापरवाही की ओर इशारा करता है। दिलचस्प बात यह है कि दक्षिणी क्षेत्र की महिलाएँ, जेनरेशन ज़ेड और निवासी इस मामले में बड़े पैमाने पर लापरवाही दिखाते हैं।

डिजिटल ट्राज़ैक्शन के दायरे में, यूपीआई (यूनिफ़ाइड पेमेंट इंटरफ़ेस) अब भी एक फ़ोकल पॉइंट बना हुआ है, जो फ़ाइनैंशियल फ़्रॉड का जोखिम कम करने के लिए अत्यधिक सतर्कता और सुरक्षा उपायों की ज़रूरत पर ज़ोर देता है। यह अध्ययन इशारा करता है कि 72% यूपीआई के मौजूदा यूज़र हैं, जिनमें पुरुष, जेनरेशन ज़ेड और मेट्रो निवासी इसके ज़्यादा इस्तेमाल में सबसे आगे हैं। विशेष रूप से, यूपीआई का इस्तेमाल चेन्नई में सबसे ज़्यादा (90%) और अहमदाबाद में सबसे कम (58%) है।

इसके अलावा, इस अध्ययन से पता चलता है कि 42% कंज़्यूमर्स, विशेष रूप से पुरुष, जेनरेशन ज़ेड और टियर 1 कंज़्यूमर्स ने यूपीआई पर क्रेडिट का इस्तेमाल करने में दिलचस्पी दिखाई। दिलचस्प बात यह है कि “यूपीआई पर क्रेडिट” का इस्तेमाल करने के कारणों में लोन लेने की समय सीमा (53%), रीटेल सटोर पर पेमेंट में आसानी (44%), बेहतर ऑफ़र पाने की संभावना (23%) और कम शुल्क (16%) शामिल हैं।

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