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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बार का कोई भी सदस्य हड़ताल पर नहीं जा सकता

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20 अप्रैल 2003 :  सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वकील हड़ताल पर नहीं जा सकते हैं और न ही काम से दूर हो सकते हैं। इसके साथ ही, इसने सभी उच्च न्यायालयों को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर शिकायत निवारण समिति गठित करने का निर्देश दिया है, जहां अधिवक्ता अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। जस्टिस एमआर शाह और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जिला अदालत स्तर पर एक अलग शिकायत निवारण समिति का गठन किया जाना चाहिए, जहां वकील निचली न्यायपालिका के सदस्य के मामलों, दुर्व्यवहार को दर्ज करने या प्रक्रियात्मक परिवर्तन से जुड़ी अपनी वास्तविक शिकायतों के निवारण की मांग कर सकें

पीठ ने कहा, “हम एक बार फिर दोहराते हैं कि बार का कोई भी सदस्य हड़ताल पर नहीं जा सकता है। इस अदालत ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि अधिवक्ताओं के हड़ताल पर जाने या अपने काम से दूर रहने से न्यायिक कार्य बाधित होता है।” अदालत ने जिला बार एसोसिएशन ऑफ देहरादून द्वारा उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक उपयुक्त मंच की मांग करने वाले एक आवेदन का निस्तारण किया और रजिस्ट्री को आदेश के अनुसार कदम उठाने के लिए सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को इस आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, कोर्ट ने कहा कि फोरम एक ऐसा स्थान होना चाहिए, जहां बार के सदस्य अपनी शिकायतों को व्यक्त कर सकें। बेंच ने कहा, “इसलिए, हम सभी उच्च न्यायालयों से अनुरोध करते हैं कि वे अपने संबंधित उच्च न्यायालयों में एक शिकायत निवारण समिति का गठन करें, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश कर सकते हैं और इस तरह की शिकायत निवारण समिति में दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल होने चाहिए। इनके नाम मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ राज्य के महाधिवक्ता, राज्य की बार काउंसिल के अध्यक्ष और उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारा नामित किया जाएगा।

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