संसद में औद्योगिक क्षेत्रों के हरित पट्टी मानकों पर उठा सवाल, सरकार ने दिए विस्तृत जवाब
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय सह‑कोषाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद डा. नरेश बंसल ने संसद में औद्योगिक क्षेत्रों के लिए संशोधित हरित पट्टी/वृक्षारोपण मानकों को लेकर महत्वपूर्ण पर्यावरणीय प्रश्न उठाया। उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि नए औद्योगिक क्षेत्रों, पार्कों और परियोजनाओं के लिए अधिसूचित हरित पट्टी मानकों में क्या बदलाव किए गए हैं और इन संशोधनों के पीछे सरकार का तर्क क्या है।
डा. बंसल ने यह भी पूछा कि—
- पूर्व में निर्धारित 33% हरित आवरण को संशोधित करने का आधार क्या है,
- क्या सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि नए मानक सतत औद्योगिक विकास को बढ़ावा दें,
- और यदि हां, तो इसके लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा क्या है।
मंत्री ने सदन में दिया विस्तृत उत्तर
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री कीर्तिवर्धन सिंह ने सदन को बताया कि मंत्रालय ने 29 अक्टूबर 2025 को जारी कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से हरित पट्टी मानकों को प्रदूषण की संभाव्यता के आधार पर युक्तिसंगत बनाया है। यह संशोधन 27 अक्टूबर 2020 के पूर्व निर्देशों का स्थान लेता है और अब सभी औद्योगिक क्षेत्रों व इकाइयों के लिए अनिवार्य है।
संशोधित हरित पट्टी मानकों की प्रमुख बातें
- औद्योगिक क्षेत्रों में कम से कम 10% क्षेत्रफल को सामान्य हरित क्षेत्र के रूप में चिन्हित करना अनिवार्य।
- लाल श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों को अपने परिसर का 15%, और नारंगी श्रेणी की इकाइयों को 10% क्षेत्र में हरित पट्टी विकसित करनी होगी।
- औद्योगिक क्षेत्रों के बाहर स्थित इकाइयों के लिए यह मानक—
- लाल श्रेणी: 25%,
- नारंगी श्रेणी: 20%, जिसे गैर‑वायु प्रदूषणकारी इकाइयों के लिए 5% तक कम किया जा सकता है।
- हरित और श्वेत श्रेणी के उद्योगों के लिए हरित पट्टी विकास वैकल्पिक, केवल वे हरित उद्योग जिनका वायु प्रदूषण स्कोर 25 से अधिक है, उन्हें 10% हरित पट्टी विकसित करनी होगी।
क्यों किया गया संशोधन?
मंत्री ने बताया कि भूमि उपलब्धता, पर्यावरणीय आवश्यकताओं और प्रदूषण नियंत्रण उपायों के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को देखते हुए यह संशोधन किया गया है। यह मानक EIA अधिसूचना 2006 के प्रावधानों के अनुरूप हैं और एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर आधारित हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मानकों का भी अध्ययन किया गया।
सतत विकास को बढ़ावा देने पर जोर
सरकार का कहना है कि संशोधित मानक प्रदूषण क्षमता वाले उद्योगों को अधिक हरित पट्टी विकसित करने के लिए बाध्य करते हैं, जिससे औद्योगिक गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण को प्रभावी रूप से कम किया जा सके। विशेषज्ञ समिति द्वारा वैज्ञानिक परीक्षण और प्रदूषण की संभाव्यता को ध्यान में रखकर इन मानकों को तैयार किया गया है।
