संचार सुविधा से वंचित उत्तराखंड के सैकडों गांवों मे कैसे होगा वर्चुअल प्रचार?
विधानसभा सामान्य निर्वाचन-2022 के लिए प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई है। कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के खतरे के बीच चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक रैली और जनसभा पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे कोरोना के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए जनसंपर्क करें। इसमें भी सिर्फ पांच लोग शामिल हो सकते हैं। आयोग ने अधिक से अधिक वर्चुअल प्रचार के लिए कहा है। अल्मोड़ा जिले के 250 गांवों में संचार सुविधाएं न के बराबर हैं। यहां पर मोबाइल के सिग्नल काफी कमजोर रहते हैं। ऐसे में दावेदारों, प्रत्याशियों आदि के लिए यहां पर मतदाताओं को अपने पक्ष में करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
सल्ट विधानसभा क्षेत्र के मानिला क्षेत्र के सदर बाजार, रथखाल, टिटोली, डोटियाल समेत कई गांव ऐसे हैं, जहां पर आज भी टू-जी नेटवर्क के सहारे लोग फोन चला रहे हैं। यहां मोबाइल पर कभी-कभी नेटवर्क आए तो बात हो जाती है। इसके अलावा इंटरनेट की गति इतनी कम होती है कि लोग उसे चलाना ही पसंद नहीं करते हैं। यहां सदर बाजार में करीब 300, रथखाल में 200, टिटोली में 150, डोटियाल में 200 से ज्यादा लोग रहते हैं जो कि इंटरनेट की दुनिया से पूरी तरह से वंचित हैं।
भैंसियाछाना ब्लॉक के कनालीछीना क्षेत्र के बबुरिया, कटघरा, सेराघाट वाले क्षेत्र में कई जगहों पर मोबाइल नेटवर्क की दिक्कत से लोग लंबे समय से जूझ रहे हैं। यहां पर करीब 1500 से ज्यादा की आबादी रहती है जो कि सोशल मीडिया की दुनिया से दूर हैं। ऐसे में दावेदारों और प्रत्याशियों को इन क्षेत्रों के लोगों से संपर्क बना पाना एक चुनौती से कम नहीं है।
रानीखेत विधानसभा सीट के भी कई गांवों में मोबाइल नेटवर्क की दिक्कत है। करीब 30 हजार से ज्यादा की आबादी यहां पर निवास करती है। यहां के धुराफाट, कनरालखुवा, रानीखेत मुख्य बाजार, गगास घाटी समेत सैकड़ों गांवों के हजारों लोग आज भी नेटवर्क की दिक्कत से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार बच्चों को टैबलेट बांट रही है इससे बेहतर यह होता कि पहले गांवों में मोबाइल के टावर लगाए जाते।