प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगले 25 वर्षों के लिए नए नेतृत्व तैयार करने के मंत्र की छाप मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मंत्रिमंडल पर साफ दिखाई दी है। 46 वर्षीय धामी की टीम में शामिल मंत्रियों में कुछ अनुभवी हैं तो कुछ युवा। राजनीतिक संभावनाओं वाले चेहरों को आगे बढ़ाकर भाजपा ने एक नए परिवर्तन का संकेत देने की कोशिश भी की है।
धामी के साथ युवा विधायक सौरभ बहुगुणा ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। सौरभ यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा के पोते व उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के पुत्र हैं। सितारगंज विधानसभा सीट पर पिता की राजनीतिक विरासत को सौरभ ने लगातार दो चुनाव जीत कर संभाला। वहीं रेखा आर्य दूसरी बार मंत्री बनी हैं।
उन्हें मंत्री बनाकर एक साथ युवा, महिला और अनुसूचित जाति का समीकरण साधा गया। संघ और पार्टी में गहरे जुड़े डॉ. धन सिंह रावत को पार्टी ने दोबारा मंत्री बनाया। 52 वर्षीय डॉ. रावत को मंत्री बनाकर क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधे गए। इन तीनों चेहरों को मंत्री बनाकर नए नेतृत्व तैयार करने की दिशा में उठाया गया कदम माना गया है।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा, पीएम मोदी के विकास मॉडल ने नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों में सरकार बनाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पहले दिल्ली में नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को तवज्जो नहीं मिलती थी लेकिन आज पूरे देश में अलग ही सम्मान मिलता है।
उत्तराखंड में नई सरकार के शपथ ग्रहण के दौरान कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद ने संस्कृत भाषा में शपथ ली। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है। सतपाल, धन सिंह, सुबोध, गणेश और रेखा को दोबारा मंत्री बनने का अवसर मिला जबकि सबसे वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल और अरविंद पांडेय की वापसी नहीं हो सकी। मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और जातीय समीकरण के हिसाब से प्रतिनिधित्व दिया गया।
तीन ब्राह्मण, तीन ठाकुर एक वैश्य, दो एससी वर्ग सेकैबिनेट में तीन ब्राह्मण को जगह मिली तो सीएम समेत तीन ठाकुर को भी मंत्री बनाया गया। एक वैश्य जबकि दो चेहरे अनुसूचित जाति वर्ग से हैं।
46 वर्षीय युवा मुख्यमंत्री धामी की कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री रेखा आर्य (43 वर्ष) हैं। फिर सौरभ बहुगुणा (44 वर्ष) हैं। 70 वर्षीय सतपाल महाराज सबसे अधिक उम्र के हैं।