प्रदेश के के सबसे सुरक्षित सचिवालय में फाइलें हो रही चोरी, फाइलें गायब होने से राजनीति सियासत में हलचल
देहरादून 10 अगस्त 2023 : उत्तराखंड के सरकारी कार्यालयों से कई फाइलों के गुम होने . एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आने के बाद अब सवाल उठने लगे हैं. दरअसल, रजिस्ट्री रिकॉर्ड रूम में रखे दस्तावेजों के साथ बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की घटना हो या फिर पूर्व में अलग-अलग विभागों से दस्तावेज गुम होने के मामले हों, जो कहीं न कहीं गंभीर स्थिति की ओर इशारा करते हैं. बीते कुछ सालों में इसे ही मामलों में देहरादून के अलग-अलग थानों में करीब 7 मामले दर्ज हुए हैं, जिनपर पुलिस जांच कर रही है.
ये हैं वे मामले जो देहरादून के अलग अलग थानों में दर्ज हुए
1- बीते साल नवम्बर में नगर निगम की संपत्तियों से संबंधित म्यूटेशन की फाइलें रिकॉर्ड रूम से चोरी हो गई थी. इसमें निगम कार्मिकों की मिलीभगत का अंदेशा जताया गया था.
2- उत्तराखंड सचिवालय से बीज घोटाले से संबंधित महत्वपूर्ण फाइल गायब होने का मामला भी राजनीति को गरमा चुका है. इसको लेकर शासन में हड़कंप मचा गया था.
3- बीती जुलाई को राजस्व अभिलेखागार से पत्रावलियां गायब होने का मामला सामने आया. फर्जी पत्रावलियां लगाने, करोड़ों की जमीन कब्जाने के आरोप में मुकदमा भी दर्ज हुआ.
4- ऋषिकेश तहसील रैनापुर ग्रांट में सीलिंग की 70 बीघा से अधिक जमीन की फाइल गायब हुई जिसमें एक आरोपी की अरेस्टिंग.
5- रजिस्ट्रार रिकॉर्ड रूम में रखे बेनामों के साथ छेड़छाड़ के मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे थे. जिसपर मुकदमा दर्ज के बाद एसआईटी का गठन.
6- फाइलें गायब से जुड़े कई मामले चाय बागान और सीलिंग की जमीनों से भी संबंधित है, जिस पर भूमाफिया की नजर है. इस मामले में हाईकोर्ट तक जनहित याचिका दायर की जा चुकी है. हाईकोर्ट इन जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा चुका है.
7- दौलत राम की 700 बीघा जमीन मामला जिसमे एसआईटी गठित की गयी है और मामले में अधिवक्ता राजेश सूरी की मौत भी रहस्य बनी है.
सभी मामलों की जांच जारी जिनमे अधिकतर मामलों में एसआईटी भी काम कर रही है. लेकिन, जांच टीम को अब विभागों से सही जानकारी न मिलने के चलते कहीं न कहीं दिक्कतों का भी समाना करना पड़ रहा है. वहीं, मामले में एसपी सिटी देहरादून सरिता डोबाल का कहना है कि पिछले कुछ समय से सरकारी विभागों से कई शिकायतें फाइल चोरी और गुम होने की आए हैं, जिनमें सुसंगत धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया है. वहीं, अब मामलों में जांच जारी है और अब जांच अधिकारी अलग अलग डिपार्टमेंट में जाकर सबूत इकट्ठे कर रहा है. लेकिन, इतना तो अवश्य है कि उत्तराखंड में सरकारी दफ्तरों से इस तरह फाइलें चोरी होना कहीं न कहीं सवाल खड़े कर रहा है. जब प्रदेश का सबसे सुरक्षित सचिवालय में ही चोर खुले आम चोरियों की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं तो फिर आम जनता का क्या हाल होगा?