नाबालिग से दुष्कर्म के एक मामले में अभियुक्त को बीस वर्ष की सश्रम कारावास सजा
पौड़ी।विशेष सत्र न्यायाधीश आशीष नैथानी की अदालत ने कैंप कोर्ट कोटद्वार में नाबालिग से दुष्कर्म के एक मामले में अभियुक्त को बीस वर्ष की सश्रम कारावास सजा सुनाई है।
विशेष लोक अभियोजक के अनुसार तहसील पौड़ी के अंतर्गत एक गांव की नाबालिग पीड़िता का सितम्बर 2020 को एक दिन अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर नजदीकी अस्पताल ले जाया गया।जहां डॉक्टरों ने पीड़िता का स्वास्थ्य परीक्षण कर बताया कि पीड़िता दो माह की गर्भवती है।परिजनों द्वारा पूछताछ पर नाबालिग पीड़िता ने बताया कि 24 जून को जब वह अपनी गाय चराने जंगल गयी तो वहां अभियुक्त भी अपने पशु चराने आया था।अभियुक्त ने पीड़िता को डरा कर और जान से मारने की धमकी देकर ज़बरदस्ती दुष्कर्म किया।जिससे पीड़िता गर्भवती हो गयी।
पीड़िता द्वारा घटना के बारे में बताये जाने के बाद परिजनों ने स्थानीय राजस्व पुलिस चौकी मेंअभियुक्त के खिलाफ तहरीर दी।तहरीर के आधार पर राजस्व पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर दिया।
विवेचना पूर्ण के उपरांत मामले में विवेचक ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया।मामले में अभियोजन की ओर से दस गवाह प्रस्तुत किये।दोनों पक्षो के तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने अभियुक्त को पोक्सो एक्ट की धारा 5/6 व् भा दं सं की धारा 376(3)के तहत दोष सिद्ध किया।न्यायालय द्वारा अभियुक्त को भा दं सं की धारा 376(3) में बीस वर्ष का सश्रम कारावास व पचास हजार रूपये जुर्माना की सजा और धारा 506 भा दं सं में एक वर्ष का सश्रम कारावास व पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई।जुर्माना अदा न करने पर दोनों धाराओं में अतिरिक्त कारवास की सजा का दण्ड मिलेगा। न्यायालय द्वारा यह भी आदेश दिया कि अभियुक्त यदि अर्थदण्ड की राशि जमा करता है तो वह बतौर प्रतिकर पीड़िता को दिया जाय।
न्यायालय द्वारा पीड़िता के पुनर्वास एवं शिक्षा दीक्षा हेतु चार लाख रूपये प्रतिकर दिए जाने का राज्य सरकार को आदेशित किया।मामले में अभियुक्त अकटुबर 2020 से जेल में है।अभियुक्त की सभी सजाएं साथ साथ चलेंगी व जेल में बिताई हुई अवधि सजा में समायोजित होगी।
इस मामले में सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक बिजेंद्र सिंह रावत ने पैरवी की।मामले की विवेचक महिला उप निरीक्षक दीपा मल्ल ने की।