आखिर कहां से लडेंगे धामी चुनाव, 6 महीने के भीतर सदन की सदस्यता लेनी होगी
पुष्कर सिंह धामी को बीजेपी विधायक दल ने अपना नेता चुन लिया और भी उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री होंगे। पुष्कर सिंह धामी राज्य की खटीमा सीट से चुनावी मैदान में थे, लेकिन कड़े मुकाबले में वो चुनाव हार गए। राज्य में बीजेपी की जीत के बाद भी पार्टी के अंदर यह सवाल खड़ा हो गया कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए? लेकिन पार्टी ने एक बड़ा नीतिगत बदलाव करते हुए हारे हुए उम्मीदवार धामी को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। आमतौर पर जिसे चुनाव में हार मिली हो उसे मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता था।
साल 2017 में हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रेम कुमार धूमल को भी हार का मुंह देखना पड़ा था, जबकि वहां पार्टी चुनाव जीतने में कामयाब हुई थी, लेकिन तब वहां धूमल को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था, पर अब भाजपा ने एक बड़ा नीतिगत बदलाव करते हुए हार के बावजूद भी पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाने का फैसला लिया है।
पुष्कर सिंह धामी 23 मार्च को दूसरी बार सीएम के तौर पर शपथ लेंगे, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के तहत उन्हें 6 महीने के भीतर सदन की सदस्यता लेनी होगी। पार्टी सुत्रों के मुताबिक धामी डीडीहाट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इस सीट पर भाजपा के बिशन सिंह चुफाल ने जीत हासिल की है।
हालांकि पांच अन्य विधायक भी उनके लिए सीट छोड़ने को तैयार हैं। जो पांच विधायक उनके लिए अब तक अपनी सीट छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं। उनमें चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी, जागेश्वर के मोहन सिंह मेहरा, लाल कुआं के डॉक्टर मोहन सिंह बिष्ट, रुड़की के प्रदीप बत्रा, और खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार का नाम शामिल है। इसके अलावा कुछ अन्य विधानसभा सीटों से भी उनके चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा हो रही है।