सीबीएसई ने 9वीं से 12 तक के लिए एनसीआरटी पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करना किया अनिवार्य – Himkelahar – Latest Hindi News | Breaking News in Hindi

सीबीएसई ने 9वीं से 12 तक के लिए एनसीआरटी पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करना किया अनिवार्य

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 16 अगस्त 24 : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने स्कूलों के लिए शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से 9वीं से 12 तक के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करना अनिवार्य कर दिया है।बोर्ड ने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को इस संबंध में निर्देश जारी किए। बोर्ड ने स्कूलों को पहली से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए, एनसीईआरटी की किताबों का उपयोग करने की सख्त सलाह दी है। वहीं, नौवीं से 12वीं तक के लिए सीबीएसई के पाठ्यक्रम के अनुरूप एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य तौर पर इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।बोर्ड ने कहा कि जिन विषयों के लिए एनसीईआरटी (NCERT News) या एससीईआरटी की किताबें उपलब्ध नहीं हैं, वहां स्कूलों को सीबीएसई की वेबसाइट पर अपलोड की गई किताबों का उपयोग करना चाहिए। वहीं, स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के अनुरूप स्कूल नौवीं से 12वीं तक के लिए पूरक (सप्लीमेंट्री) या डिजिटल सामग्री का उपयोग कर सकते हैं। बोर्ड ने निर्देश दिया कि पूरक सामग्री में चर्चा विश्लेषण,उदाहरण और अनुप्रयोग सहित आवश्यक मूल सामग्री शामिल होनी चाहिए।बोर्ड ने निजी प्रकाशकों की किताबों के उपयोग को लेकर निर्देश दिया कि निजी प्रकाशकों की पुस्तकों का उपयोग करते समय स्कूलों को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि किसी आपत्तिजनक सामग्री से समाज में किसी विशेष वर्ग, समुदाय या किसी भी धार्मिक समूह की भावना को ठेस न पहुंचे।स्कूलों को अपनी वेबसाइट पर सभी कक्षाओं के लिए निर्धारित पुस्तकों की सूची अपलोड करनी होगी। सूची में स्कूल प्रबंधक और प्रधानाचार्य की ओर से हस्ताक्षरित लिखित घोषणा होगी कि उन्होंने स्कूल द्वारा निर्धारित पुस्तकों की सामग्री को पढ़ लिया है और वे इसके लिए जिम्मेदार हैं।सीबीएसई ने चेतावनी दी है कि अगर कोई स्कूल आपत्तिजनक सामग्री वाली निजी प्रकाशक की किताब उपयोग करता हुआ पाया जाता है तो उसे ऐसी सामग्री के लिए जिम्मेदार पाया जाएगा और बोर्ड द्वारा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले तक स्कूलों के पास सभी कक्षाओं के लिए एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें या निजी प्रकाशकों की किताबें का विकल्प होता था।

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