बैंक पहुँचे लोग तो बैंकों की हड़ताल देखकर निराश होना पड़ा
सप्ताह के पहले दिन सोमवार को जब लोग अपने घरों से बाहर निकले तो पेट्रोल पंप पर तेल के बढ़े दाम देखकर माथा गरम हुआ, उसके बाद सड़कों पर ट्रेड यूनियनों के प्रदर्शन के चलते लगे जाम में फंसना पड़ा और जब जरूरी काम से बैंक पहुँचे तो वहां बैंकों की हड़ताल देखकर निराश होना पड़ा। तो महंगाई, हड़ताल और बढ़ती गर्मी के सितम ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। हम आपको बता दें कि सरकार की कथित जन-विरोधी आर्थिक नीतियों और श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और विभिन्न क्षेत्रों की स्वतंत्र श्रमिक यूनियनों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है। इनकी प्रमुख मांगों में श्रम संहिता को समाप्त करना, किसी भी प्रकार के निजीकरण को रोकना, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को समाप्त करना, मनरेगा के तहत मजदूरी के लिए आवंटन बढ़ाना और ठेका श्रमिकों को नियमित करना शामिल है। 28 और 29 मार्च की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का बैंक कर्मचारियों की यूनियन ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन ने समर्थन किया है।
इस बीच, देशभर से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उसमें दिख रहा है कि ट्रेड यूनियनों के नेता धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और बैंकों के दरवाजों पर ताले लटके हुए हैं। हम आपको बता दें कि इस हड़ताल का ज्यादातर लोगों को पता नहीं था इसलिए सोमवार को कामकाजी दिन होने के चलते जब लोग बैंक पहुँच रहे हैं तो उन्हें निराशा हाथ लग रही है। हालांकि सरकारी बैंकों की ऑनलाइन सेवाएं काम कर रही हैं और निजी क्षेत्र के बैंक पूरी तरह खुले हुए हैं। ट्रेड यूनियनों की हड़ताल में बैंकों के भी शामिल होने के मुद्दे पर ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा है कि बैंक यूनियन की मांग है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण बंद करे और उन्हें मजबूत करे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमारी मांग है कि डूबे कर्ज की वसूली को तेज किया जाए, बैंक जमा पर ब्याज बढ़ावा जाए, सेवा शुल्कों में कमी की जाए और पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
इस बीच, सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पीएनबी और केनरा बैंक ने कहा है कि हड़ताल की वजह से उसकी सेवाओं पर कुछ हद तक सीमित असर पड़ सकता है। एसबीआई ने कहा कि उसने अपनी सभी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए हैं।
दूसरी ओर महंगाई के सितम की बात करें तो एक बार फिर पेट्रोल की कीमतों में 30 पैसे प्रति लीटर और डीज़ल की कीमत में 35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है। हम आपको बता दें कि पिछले एक सप्ताह में छठी बार कीमत में बढ़ोतरी की गई है। इस वृद्धि से आम जन बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पेट्रोल तथा डीज़ल की कीमतें रिकॉर्ड 137 दिन तक स्थिर रहने के बाद 22 मार्च को बढ़ाई गई थीं। इसके बाद 23 मार्च को भी इनकी कीमतों में प्रति लीटर 80 पैसे की बढ़ोतरी की गई थी। तब से छह बार कीमतों में वृद्धि की गई है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही पेट्रोल एवं डीज़ल के दाम में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन पेट्रोलियम कंपनियों ने कुछ दिन और इंतजार किया। ‘क्रिसिल रिसर्च’ के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में हुई वृद्धि से पूरी तरह से पार पाने के लिए दरों में 9 से 12 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि भारत अपनी तेल की जरूरतें पूरी करने के लिए आयात पर 85 फीसदी निर्भर है।