प्रभारी मंत्री बनाने में हो रही देरी के कारण जिला योजना समिति की बैठकें नहीं हो पा रही
प्रदेश के सभी 13 जिलों में योजना समितियों का गठन हो चुका है। विकास योजनाओं के प्रस्ताव भी लगभग तैयार हैं, लेकिन इन प्रस्तावों पर मुहर लगाने के लिए जिला योजना समिति की बैठकें नहीं हो पा रही हैं। इसकी वजह प्रभारी मंत्री बनाने में हो रही देरी मानी जा रही है। दरअसल जिला योजना समितियों की बैठकों की अध्यक्षता प्रभारी मंत्री करते हैं। उन्हीं की अध्यक्षता में कमेटियों में योजनाओं के वित्तीय प्रस्तावों पर मुहर लगती है।
सरकार की ओर से जिला योजना समितियों के लिए जारी बजट खर्च को लेकर दिशा-निर्देश तक जारी हो चुके हैं। 10 मई को सचिव नियोजन डॉ. रंजीत सिन्हा की ओर से विस्तृत दिशा-निर्देशों में जारी बजटीय स्वीकृति के संबंध में विकास संबंधी प्राथमिकताएं भी सुझाई गई हैं। वित्त विभाग के जारी बजट के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में जिला योजना समितियों के माध्यम से 13 जिलों में 733 करोड़ 72 लाख रुपये खर्च होने हैं।
जिला पंचायत सदस्य अमेंद्र बिष्ट कहते हैं, इस धनराशि के समयबद्ध खर्च के लिए यह आवश्यक है कि जिला योजना समिति की बैठक समय पर हो। उनके मुताबिक, जितनी जल्दी विकास से जुड़े प्रस्तावों पर मुहर लगेगी, उतनी ही शीघ्रता से उन पर कार्य आरंभ हो सकेगा। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में मई महीने के पहले सप्ताह में जिला योजना समिति की बैठक हो जाती हैं।