ज्योतिर्मठ शंकराचार्य अपने आरोपों को साबित नहीं कर सकते, तो उन्हें अनावश्यक विवाद खड़ा करने और केदारनाथ की गरिमा को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं है : अजेंद्र अजय
उत्तराखंड : ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कुछ दिन पहले केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह से 228 किलो सोना गायब होने का आरोप लगाया था उनके इन आरोपों पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा, ‘मैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का सम्मान करता हूं लेकिन वह दिन भर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते रहते हैं. विवाद खड़ा करना, सनसनी फैलाना और खबरों में बने रहना उनकी आदत हो गई है.’
बीकेटीसी अध्यक्ष ने कहा कि केदारनाथ धाम में सोना गायब होने का उनका दावा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. अजेंद्र अजय ने कहा, ‘मैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से आग्रह करता हूं और चुनौती भी देता हूं कि वह तथ्यों और सबूतों को सामने लाएं. उन्हें अधिकारियों के पास जाना चाहिए, सबूत पेश करना चाहिए और जांच की मांग करनी चाहिए. यदि उन्हें राज्य सरकार और उसके अधिकारियों पर भरोसा नहीं है, तो उन्हें सबूतों के साथ सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए, एक जनहित याचिका दायर करनी चाहिए और जांच की मांग करनी चाहिए.’
बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष ने कहा कि अगर ज्योतिर्मठ शंकराचार्य के अपने आरोपों को साबित नहीं कर सकते, तो उन्हें अनावश्यक विवाद खड़ा करने और केदारनाथ की गरिमा को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं है. अगर वह कांग्रेस के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. अजेंद्र अजय ने कहा, ‘केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने में प्रदेश सरकार और मंदिर समिति का कोई योगदान नहीं है. जिस दानी दाता ने मंदिर को स्वर्ण मंडित किया है, उन्होंने अपने ज्वैलर के जरिए केदारनाथ मंदिर में सोना पहुंचाया और वही सोना गर्भगृह में लगा है, जिसका वजन लगभग 23 किलो ग्राम है. सपोर्ट के लिए लगाई गई तांबे की प्लेटों का वजन 1000 किलो के करीब है. इसी दानी दाता ने बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराया है.’श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि स्वर्ण मंडित होने से पहले केदारनाथ धाम के गर्भगृह में 230 किलोग्राम चांदी की प्लेटें लगी थीं. भ्रम फैलाने वालों ने अंदाजा लगाया कि इतने ही सोने का इस्तेमाल गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए किया गया होगा. चांदी की शुद्ध प्लेटें होती हैं, जबकि स्वर्ण मंडित करवाने में तांबे के प्लेटों पर सोने का वर्क (लेयर) चढ़ाया जाता है. देशभर में जिस मंदिर को भी स्वर्ण मंडित किया गया है, सबमें तांबे की प्लेटों पर ही सोने की लेयर चढ़ाई गई है. सिर्फ विवाद पैदा करने के लिए इस तरह की अफवाह फैलाई जा रही है कि 228 किलो सोना गायब हो गया.