उत्तराखंड

सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले में उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाई। 

सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले में उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाई। 

(प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बावजूद नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई) 

सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तराखंड के हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले की सुनवाई हुई। जिस मामले में इस मामले में स्वतंत्र जांच को लेकर उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर 10 दिनों में जवाब पेश करने को कहा है। पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली ने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में हेट स्पीच और भड़काऊ बयान देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिक दायर की थी।

याचिका सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हीमा कोहली की पीठ के समक्ष आई। याचिका में मुस्लिमों के खिलाफ हेट स्पीच की SIT से स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। दोनों ने हरिद्वार में 17 और 19 दिसंबर, 2021 के बीच अलग-अलग दो कार्यक्रमों में दिए गए हेट स्पीच से संबंधित मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पहला मामला हरिद्वार में यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित और दूसरा दिल्ली में ‘हिंदू युवा वाहिनी’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम का है।

सीजेआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इन दलीलों का संज्ञान लिया था कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बावजूद नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सिब्बल ने कहा था, मैंने (पिछले साल) 17 और 19 दिसंबर को धर्म संसद में जो कुछ हुआ था, उसे लेकर यह जनहित याचिका दायर की थी। जब देश में नारा सत्यमेव जयते से बदल कर शस्त्रमेव जयते हो गया है। उन्होंने कहा था कि, प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। न्यायालय के हस्तक्षेप के बगैर कोई कार्रवाई संभव नहीं है।

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