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सब बड़े लोग मुझे संभालेंगे और मैं कांग्रेस को आगे बढ़ाने का काम करूंगा : करन माहरा

करन ने कहा कि तीन महीने के भीतर प्रदेश कार्यकारिणी तैयार कर ली जाएगी। एक बात साफ है कि कार्यकारिणी 300-400 लोगों की नहीं होगी

कांग्रेस की नाव को गुटबाजी के भंवर से बाहर लाने के लिए नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा सभी धड़ों को साथ लेकर आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे। रविवार को कार्यभार ग्रहण समारोह में अपने भाषण और बाद में मीडिया से बातचीत में माहरा ने इसके संकेत दिए।
माहरा ने मंच पर बैठे हर नेता के साथ अपने पुराने रिश्तों और अनुभव का जिक्र करते हुए आशीर्वाद और सहयोग मांगा।नेताओं की तारीफ में करन ने शब्द खर्च करने में कोई कंजूसी नहीं की। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव से शुरूआत करते हुए कहा कि उनके जैसा प्रदेश प्रभारी अपने जीवन में नहीं देखा। देवेंद्र ने कांग्रेस को छह महीने पहले ही इलेक्शन मोड में ला दिया था। उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही है।फिर बारी थी हरीश रावत की। कहा कि हरीश के नाम से ही कांग्रेस को जाना जाता है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को बड़ा भाई बताते हुए कहा कि उनके जैसा संस्कारवान व्यक्ति बहुत कम होते हैं। तो नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य सर्वाधिक अनुभव वाले व्यक्ति हैं। कहा नवप्रभात के ज्ञान का प्रदेश के हर कांग्रेस सीएम ने उपयोग किया। शूरवीर सिंह सजवाण ऐसे नेता हैं जिन्हें देखकर यूपी में सीएम वीरबहादुर सिंह भी थर्राते थे।रणजीत रावत ऐसे नेता हैं, जिनको देखने-सुनने के लिए करन बचपन में स्कूल से बिना बताए ही चले आए थे। आदेश चौहान, भुवन कापड़ी, सुमित ह़्दयेश की तारीफ भी की। काजी निजामुद्दीन को अपना संसदीय गुरू और ज्ञान का भंडार बताया। करन ने कहा कि लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं गुटबाजी से कैंसे निपटूंगा? देखिए मैं तो सबसे छोटा हूं। सबका लाड़ला हूं। ये सब बड़े लोग मुझे संभालेंगे और मैं कांग्रेस को आगे बढ़ाने का काम करूंगा। करन ने कहा कि तीन महीने के भीतर प्रदेश कार्यकारिणी तैयार कर ली जाएगी। एक बात साफ है कि कार्यकारिणी 300-400 लोगों की नहीं होगी। जो व्यक्ति काम करने वाला है, जिसे उसके क्षेत्र की जानती होगी, उसी को मौका मिलेगा। राजीव भवन की या नेताओं की परिक्रमा वाले मुझे माफ करें ।करन ने हरिद्वार ग्रामीण विधायक अपनी भांजी और पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को नसीहत भी दी। कहा कि, पहला चुनाव वो अपने पिता के नाम और पार्टी के सहयोग से जीतीं हैं। अब आगे पांच साल का कामकाज उनका राजनीतिक भविष्य को तय करने वाला होगा

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