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किसी ने तो समझा हाकरों की पीडा को

अखबार को पाठकों तक पहुंचाने वाले हॉकर्स के लिए कोई योजना नहीं है। हॉकर्स को अखबार से जुड़ा नहीं माना जाता है,

समाचार पत्र वितरक यानी हॉकर्स अजमेर का हो या देश की राजधानी दिल्ली का। दोनों की पीड़ा एक समान है। अखबार प्रबंधन जो कमीशन देता है, उससे ही हॉकरों को अपने परिवार का गुजारा करना पड़ता है। सरकार अखबार में काम करने वाले पत्रकारों और अन्य कार्मिकों को अनेक सुविधाएं देती है, लेकिन अखबार को पाठकों तक पहुंचाने वाले हॉकर्स के लिए कोई योजना नहीं है। हॉकर्स को अखबार से जुड़ा नहीं माना जाता है, जबकि अखबार प्रबंधन और पाठक के बीच हॉकर्स ही सबसे मजबूत कड़ी है। मौसम कैसा भी हो, लेकिन हॉकर्स को सुबह पाठक के घर पर अखबार पहुंचाना ही होता है। कड़कड़ाती ठंड में जब आम आदमी का सुबह 9 बजे भी रजाई से बाहर निकालना मुश्किल होता है, तब हॉकर तड़के तीन बजे अपने घर से निकल अखबार की मंडी में पहुंचता है। अखबार की सुपुर्दगी लेकर एक एक अखबार पाठक के घर पर पहुंचाता है। यदि किसी दिन हॉकर बीमार हो जाए तो भी अखबार बांटने की जिम्मेदारी उसी की है। घर परिवार में मृत्यु हो जाए तो शव के अंतिम संस्कार से पहले अखबार बांटना जरूरी है। सब्जी विक्रेता को तो बिक्री के लिए रात तक समय मिलता है, लेकिन हॉकर्स को सुपुर्दगी के दो तीन घंटे के अंदर ही अखबार को पाठक के घर तक पहुंचाना पड़ता है। हॉकरों की इस पीड़ा को देखते हुए ही केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने गृह जिले अजमेर में हॉकरों का ईश्रम कार्ड बनवाने के लिए विजय लक्ष्मी पार्क में एक शिविर लगवाया। हालांकि यह सरकारी पोलियर श्रमिक का रजिस्ट्रेशन है, लेकिन रजिस्ट्रेशन के साथ ही दो लाख रुपए का लाइफ इंश्योरेंस भी हो रहा है। अजमेर में यह शिविर 6 व 7 जनवरी को लगाया गया। शिविर के शुभारंभ पर हुए समारोह में अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी, विधायक श्रीमती अनिता भदेल, सुरेश टाक और सुरेश रावत ने भी भाग लिया। सांसद और विधायकों ने हॉकरों की पीड़ा को समझा और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। हॉकरों को ईबाइक उपलब्ध करवाने के लिए सांसद कोष से आर्थिक मदद दिलाने का भरोसा भी सांसद चौधरी ने दिलाया। विधायकों ने भी सांसद कोष से सहयोग का आश्वासन दिया। सांसद विधायकों ने सहयोग के लिए जो पहल की है उससे हॉकरों के जीवन में बदलाव की शुरुआत अजमेर से हो सकती है। अजमेर के हॉकरों को एकजुट करने में अश्विनी वाजपेयी, ओम प्रकाश कुशवाह, राजेंद्र कच्छावा, प्रेम विनायक, अश्विनी, मनोहर सैनी, राजेश मीणा, सुभाष शर्मा आदि की सक्रिय भूमिका है।
देवनानी ने भी दिलाया भरोसा:
दो दिवसीय ई-श्रम कार्ड शिविर का समापन 7 जनवरी को पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी के सान्निध्य में हुआ। देवनानी ने माना कि हॉकर्स का कार्य वाकई कठिन है और हॉकर्स भी मीडिया का प्रमुख अंग है। हॉकर्स के सामाजिक उत्थान के लिए जो भी संभव होगा, वह किया जाएगा। विधायक कोष का उपयोग हॉकर्स की सुविधाओं के लिए किस प्रकार से हो सकता है, इसका भी पता लगाया जाएगा। समापन समारोह में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के क्षेत्रीय वेलफेयर कमिश्नर संजय डाबी, कॉमन सर्विस सेंटर के जिला प्रबंधक भवानी सिंह बुनकर और हॉकरों के प्रतिनिधियों ने विधायक देवनानी का स्वागत किया। इस अवसर पर देवनानी ने ई श्रम कार्ड भी वितरित किए। वेलफेयर कमिश्नर डाबी ने कहा कि हॉकर्स की समस्याओं के समाधान के लिए उनका मंत्रालय हमेशा तत्पर है। शिविर में 400 से भी ज्यादा ईश्रम कार्ड बनाए गए।

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