उत्तराखंड

विजिलेंस टीम को मिली आईएएस रामबिलास यादव के फ्लैट से 15 रजिस्ट्रियां, और पावर ऑफ अटॉर्नी

यादव के पास से बैकडेट के करीब डेढ़ दर्जन ब्लैंक स्टांप पेपर भी मिले हैं।

आईएएस अफसर रामबिलास यादव ने उत्तराखंड मैं संपत्तियां जोड़ने के लिए देहरादून के स्थानीय लोगों पर भरोसा जताया । आईएएस अफसर रामबिलास यादव भले ही यूपी से उत्तराखंड आए हों। लेकिन, आरोप है कि उन्होंने यहां संपत्तियां जोड़ने के लिए स्थानीय लोगों पर भरोसा जताया। उनके पनाष वैली स्थित फ्लैट से विजिलेंस को करीब पंद्रह से ज्यादा संपत्तियों की रजिस्ट्रियां और पावर ऑफ अटार्नी मिलीं, जो देहरादून के ही स्थानीय लोगों के नाम दर्ज हैं। विजिलेंस को शक है कि यह यादव की बेनामी संपत्तियां हो सकती हैं। लिहाजा, इसकी जांच भी शुरू कर दी गई है। यादव के पास से बैकडेट के करीब डेढ़ दर्जन ब्लैंक स्टांप पेपर भी मिले हैं। एसएसपी-विजिलेंस धीरेंद्र गुंज्याल ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यादव के फ्लैट में पंद्रह से ज्यादा संपत्तियों की जो भी रजिस्ट्रियां मिली हैं, वे सभी स्थानीय लोगों की हैं। वे यहां के ही निवासी हैं। इनमें एक भी यूपी या किसी दूसरी जगह का नहीं है। लेकिन, हैरानी की बात है कि इन सभी संपत्ति की पावर ऑफ अटार्नी आईएएस अफसर रामबिलास यादव के नाम हैं। बीते बुधवार को विजिलेंस की पूछताछ में यादव ने बताया कि लोगों ने अपनी संपत्तियां उन्हें बेचने के लिए पावर ऑफ अटार्नी और मूल रजिस्ट्रियां दी। मगर, विजिलेंस उनके जवाब से संतुष्ट नहीं है। क्योंकि, एक तो आईएएस अफसर को इतने लोगों ने अपनी संपत्तियां बेचने को क्यों दी? जबकि, एक लोकसेवक के पास ना तो इतना समय है और ना ही वो इस तरह प्रॉपर्टी बिकवाने का काम कर सकते हैं। दूसरा, कोई भी बेचने के लिए अपनी मूल रजिस्ट्री अफसर को नहीं देगा। विजिलेंस इस मामले की भी जांच में जुट गई है। एसएसपी-विजिलेंस धीरेंद्र गुंज्याल के अनुसार, ये सारी संपत्तियां पिछले चार-पांच साल में खरीदी गईं। लिहाजा, इनके आईएएस अफसर यादव की बेनामी संपत्ति होने का शक और भी गहरा गया है। उन्होंने बताया कि, जांच में पुष्टि के बाद ही ये सारी संपत्तियां उनकी यूपी से लेकर उत्तराखंड तक कमाई गई करीब साढ़े पांच सौ प्रतिशत संपत्तियों में जोड़ी जाएंगी। उन्होंने बताया कि सरकार को भी इसकी जानकारी दी जाएगी। विजिलेंस को जांच के दौरान पता चला कि आईएएस अफसर यादव के यूपी में मंडी परिषद और लखनऊ विकास प्राधिकरण में रहते कुल आय करीब पचास लाख 48 हजार रुपये आंकी गई, जबकि इसी दौरान उनका खर्चा करीब सवा तीन करोड़ रुपये होना सामने आया। पूछताछ के दौरान यादव कोई जवाब नहीं दे पाए और न ही कोई दस्तावेज दिखा पाए। एसएसपी-विजिलेंस धीरेंद्र गुंज्याल ने बताया कि विजिलेंस ने आईएएस अफसर राम बिलास यादव से पूछताछ के लिए करीब तीस मुख्य सवाल तैयार किए थे। इनमें हर मुख्य सवाल से जुड़े दस और सवाल थे, लेकिन उन्होंने एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। न ही वे संपत्तियों से जुड़े कोई दस्तावेज दे पाए। उन्होंने अपना पक्ष खुद ही बेहद कमजोर किया।

 

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