उत्तराखंड

राज्य आंदोलनकारियों के हितों की रक्षा के लिए कांग्रेस अंतिम क्षण तक संघर्ष करेगी : अनुपमा रावत

पूर्व में सीएम एनडी तिवारी के कार्यकाल में आंदोलनकारियों को नौकरी में आरक्षण दिया गया था।

राज्य निर्माण आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण पर प्रस्तावित प्राइवेट मेंबर बिल अब विधानसभा के अगले सत्र में आएगा। हरिद्वार ग्रामीण से कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत इस विधेयक को लाने जा रही थी। बीते रोज विस की कार्यसूची में भी यह दर्ज भी हो गया था, लेकिन हल्द्वानी लाठीचार्ज प्रकरण पर हुए हंगामे की वजह से बिल सदन में नहीं रखा जा सका। अनुपमा ने कहा कि 17 जून को सदन में ‘‘उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आन्दोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक – 2022’’ पेश होना था। राज्य आंदोलनकारी कोटे से विभिन्न विभागों में काम कर रहे करीब एक हजार कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा विषय है। भाजपा सरकारों द्वारा लगातार बरती गई ढिलाई के कारण राज्य आंदोलनकारियों की नौंकरियों पर तलवार लटक रही है। पूर्व में सीएम एनडी तिवारी के कार्यकाल में आंदोलनकारियों को नौकरी में आरक्षण दिया गया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका में आंदोलनकारी आरक्षण को सही नहीं माना है। सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्टतक नहीं गई। यही नहीं पूर्ववती कांग्रेस सरकार में वर्ष 2016 से आंदोलनकारी आरक्षण बिल राजभवन में मंजूरी के इंतजार में है। लेकिन सरकार कुछ एक्शन नहीं ले रही है।अनुपमा ने कहा कि वो आंदोलनकारियों के मामले में सरकार से हार नहीं मानेंगी। विस के अगले सत्र में इस बिल को दोबारा लाया जाएगा।

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