उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया विकास खंड अगस्त्यमुनि के कोठगी में बनने वाले नर्सिंग कॉलेज का भूमि पूजन एवं शिलान्यास

सीएम ने कहा कि छात्र-छात्राएं जीवन में जिस भी क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उस क्षेत्र में अव्वल रहकर नेतृत्व करने का कार्य करें

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को 20 करोड़ 44 लाख 16 हजार की लागत से विकास खंड अगस्त्यमुनि के कोठगी में बनने वाले नर्सिंग कॉलेज का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में पहुंचे छात्र-छात्राओं को बाल दिवस की शुभकामनाएं देते हुए जीवन में अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कठिन परिश्रम करने की सलाह दी. सीएम ने कहा कि छात्र-छात्राएं जीवन में जिस भी क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उस क्षेत्र में अव्वल रहकर नेतृत्व करने का कार्य करें. वहीं कोठगी गांव में सीएम पुष्कर सिंह धामी को अपने बीच देखकर ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

रुद्रप्रयाग जनपद के भीतर कोठगी गांव में सीएम धामी ने कहा कि, 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा और यह तभी होगा जब हम, धार्मिक, पर्यटन, आस्था, योग, आयुष सहित अन्य क्षेत्रों में अच्छा कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि हमने संकल्प लिया है कि उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल किया जायेगा. इसके लिये भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करना होगा. यहां भर्तियों में गड़बडियां हुईं और इसके लिए हमारी सरकार ने सख्त कदम उठाये. ये गड़बड़ियां अभी से नहीं चल रही थीं, जब से ये आयोग बना है, तब से चल रही थीं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड लगातार आगे बढ़ रहा है और इस बार की चारधाम यात्रा ने भी सभी रिकार्ड तोड़े हैं.

सीएम धामी ने कहा, प्रधानमंत्री द्वारा केदारनाथ यात्रा को और सुगम बनाने के लिए गौरीकुंड से रामबाड़ा तक रोप वे की सौगात दी गई है. जल्द ही इस पर कार्य शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस वर्ष यात्रा ऐतिहासिक रही है, जिसमें रिकॉर्ड यात्रियों ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए हैं. यात्रा को सुगमता से संचालित करना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन जिला प्रशासन और सभी जन प्रतिनिधियों के सहयोग से यात्रा का सफल संचालन किया गया. कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेल लाइन निर्माण पूरी होने के बाद आने वाले वर्षों में और अधिक संख्या में यात्री बदरी-केदार धाम में आएंगे. हमें अपनी संस्कृति का परिचय देते हुए तीर्थ यात्रियों का ऐसा सत्कार करना है कि वे बार-बार देवभूमि लौटकर आएं.

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